kabutar per anuchchhed
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Explanation:
कबूतर एक बहुत ही सुंदर पक्षी है और यह पूरे विश्व में पाया जाता है। यह लोगों के द्वारा प्राचीन काल से ही पालतू पक्षी के रूप में प्रयोग किया जाता है। कबूतर विभिन्न प्रकार के और तरह तरह के रंग में पाए जाते हैं। यह सफेद स्लेटी और भूरे रंग में पाए जाते हैं। भारत में केवल स्फेद और स्लेटी कबुतर पाए जाते हैं। सफेद कबूतर घरों में पाले जाते हैं जबकि स्लेटी और भूरे कबूतर जंगलों में पाए जाते हैं। कबूतर का पूरा शरीर पंखो से ढका होता है और यह ब्ना रूके काफी देर तक उड़ सकते हैं। कबूतर के पास एक चोंच होती है और इसके पंजे ज्यादा नुकीले नहीं होते हैं। इनके पंजो की बनावट इस तरह होती है कि यह आसानी से पेड़ की शाखाओं को मजबूती से पकड़ सकते हैं।कबूतर बहुत ही शांत स्वभाव के होते हैं और इन्हें प्राचीन काल में जब संचार का कोई माध्यम नहीं था तो संदेश देने के लिए भेजा जाता था और उन कबुतरों को जंगी कबुतर का नाम दिया जाता था। इन्हें शांति का प्रतीक माना जाता है। कबूतर बहुत ही बुद्धधिमान पक्षी होता है। यह अपना रहने का स्थान ऊँची ईमारतों और ऐताहिसिक ईमारतों के ऊपर बनाते हैं। कबुतर की जंगल में आयु 6 वर्ष होती है। ज्यादातर कबूतर शाकाहारी होते हैं। वह अनाज, बाजरे के दाने और फल आदि खाते हैं। इनकी याद्दाश्त बहुत अच्छी होती है। यह मिलों का सफर तय करके वापिस उसी राह से दोबारा अपने स्थान पर जा सकते हैं। कबूतर अपनी सुंदरता के कारण राजा महाराजाओं के महलों में भी रहते हैं। कबूतर को अच्छे भाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। कबूतर 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ते हैं।
कबूतर अपने आप को शीशे में देखकर पहचान लेते हैं और प्रतिबिंब को देखकर धोखा नहीं खाते हैं। कबुतर किसी भी व्यक्ति को नहीं भूलते हैं और दोबारा दिखने पर उन्हें पहचान लेते हैं। कबुतरों को समूह में रहना पसंद होता है और साथ ही इन्हें इंसानों के साथ रहना भी अच्छा लगता है। कबूतर पूरे जीवन एक ही जोड़ा बनाकर रखते हैं। यह एक समय में 2 अंडे देते हैं। 19-20 दिन में चूजे अंडे से बाहर आ जाते हैं और अंडो को नर और मादा दोनों सेकते हैं। कबुतर स्वभाव से मिलनसार होते हैं। कबुतर की देखने और सुनने की क्षमता अद्भुत होती है। वह भूकंप और तुफान की आवाजें आसानी से सुन लेते हैं।