Hindi, asked by shiva6386, 3 months ago

कहा गया है कि जैसा होगा आहार वैसा ही होगा विचार । भले यह बात छोटी लगती हो लेकिन आज के संदर्भ में अति महत्वपूर्ण
है। वर्ष 2020 कई मायनों में विचित्र है। कोरोना वैश्विक महामारी ने जहाँ एक ओर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को झकझोर
'कर रख दिया है , वही दूसरी इसका एक साकारात्मक पहलू यह भी है कि इसने हमें उन परम्पराओं की ओर लौटने के लिए
बाध्य कर दिये जिन्हें हम रूढ़िवादी कह कर त्याग चुके थे। हमारी भारतीय परंपरा में प्रारम्भ से ही मन , शरीर और वातावरण
की शुद्धता पर जोर दिया जाता रहा है। कोविड -19 के भयावह परिणामों ने हमें पुनः बता दिया कि स्वच्छता का क्या महत्व है
? हम घर के बाहर ही जूते चप्पल निकालने लगे , जंक फूड और रेस्त्रां को छोड़ घर में बने खाने को खाने लगे, मांसाहार को
लगभग त्याग ही दिया खाने से पहले और बाद में हाथ धोने लगे स्वच्छ परिधान पहनने लगे और हाथ मिलाने की जगह हाथ
जोड़कर अभिवादन करने लगे। इसीलिए कहा जाता है कि अंधी दौड़ से बचना चाहिए।
क) “जैसा होगा आहार, वैसा होगा विचार " से क्या तात्पर्य है?
ख) किस घटना ने हमें वापस अपनी परम्पराओं को अपनाने के लिए विवश कर दिया?
ग) रूढ़िवादी होने का क्या अर्थ है ?
घ) कोविड -19 के भयावह परिणामों से हमें क्या सीख मिली?
ङ) गदयांश के लिए उचित शीर्षक क्या हो सकता है ?

Answers

Answered by riturajsharma2k5
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Answered by JSP2008
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