कहाँ हमारा आचरण-व्यवहार कैसा रहना चाहिए । कहाँ हमें झुकना है और कहाँहर मूल्य पर
अड़ या डट जाना चाहिए । यह एक निर्मात सत्य है कि जीवन, समाज, देश था राष्ट्र
व्यक्तियों के आचरण और व्यवहार से ही बनता है। समाज में व्यक्ति अपने आचरणही
पहचाना जाता है, साथ ही यह भी निमार्त और परीक्षित उपत्य है कि यक्ति के सदनावरण
और व्यवहार का निर्माण उसकी प्रत्यक्ष-परोक्ष शिक्षा के दवारा ही होती। रिशा भी ऐसा
तभी कर सकती है जब उसके कुछ अपने नैतिक मान और मूल्य हो। कोशीशम, शान
करा देना या कुछ विषय रटा देना ही तो शिक्षा नही है न । उसका वास्तविक प्रयोग ही
आदमी में आदमीपन का विकास करना है। यह विकास ही नैतिकता की प्रतिष्ठा है, जिसके
अभाव में सुशिक्षा भी कुशिक्षा ही है।
1. नैतिक शिक्षा व्यक्ति में जिन गुणों का विकास करती है -
क) मानवीय गुण
ख) चारित्रिक गुण
ग) जातीय गुण
घ) राष्ट्रीय गुण
STTETTE
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dd rajasthani desi local marwadi geet prem
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