कहां जाता है "भारतीय संविधान उधार का दस्तावेज है"।कथन को तर्क सहित स्पष्ट करो।
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भारतीय संविधान सामाजिक दस्तावेज है और डा.भीमराव अम्बेडकर ने बौद्ध दर्शन से ही स्वतंत्रता, समानता, बन्धुत्व और न्याय जैसे चीजे सीखी थी। यह बात महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति डा.पी नाग ने हरिश्चन्द्र पीजी कालेज में बड़ागांव पीजी कालेज के सहयोग से आयोजित सात दिवसीय अम्बेडकर और सामाजिक न्याय: वर्तमान परिदृश्य विषय सात दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि कही।उन्होंने कहा कि भगवान बद्ध के विचारों से प्रभावित होकर डा.अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया था।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डा.अर्मत्य सेन कहते है कि अम्बेडकर जी समाज के निचले तबकों को उपर उठाने के लिए जिस तरह से रचनात्मक कार्य किया था वह अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का विषय है। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो.रजनीश शुक्ल ने कहा कि अम्बेडकर एक ही जाति भारतीयता की बात करते थे। उन्होंने हमेशा से ही दो अलग-अलग धार्मिक सिद्धांतों को विरोध किया था। भारतीय समाज में आध्यात्मिकता के तत्व विद्यमान हैं, जिसको हम तोड़ नहीं सकते हैं। बलदेव पीजी कालेज के प्राचार्य डा.उदयन मिश्र ने कहा कि डा.अम्बेडकर ने समाज के सभी वर्गों के विकास की लड़ाई लड़ी थी। डा.अम्बेडकर ने जिन उद्देश्यों को लेकर संविधान निर्माण की पहल की थी वह समाज के लिए नयी मिसाल है। हरिश्चन्द्र पीजी कालेज के प्राचार्य डा.सोहन साल यादव ने कहा कि दो दशक पूर्व डा.अम्बेडकर के विचारों की जो प्रासंगिकता थी वह आज भी है। कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य ही सभी लोगों को अम्बेडकर के विचारों से आत्मसात करना है। संचालन कार्यशाला संयोजक डा.बलवीर सिंह ने किया। इस अवसर पर डा.अमिताभ तिवारी, डा.अरविंद मिश्र, डा.पंकज कुमार सिंह, डा.गीता सिंह, डा.हरिश्चन्द्र सिंह, डा.परमात्मा कुमार मिश्र आदि लोग उपस्थित थे।