Hindi, asked by transformjoshi, 6 months ago

कहा जाता है कि हमारा लोकतंत्र यदि कहीं कमजोर है तो उसकी एक बड़ी वजह

हमारी राजनीति प्रायः अव्यवस्थित हैं, अमर्यादित हैं और अधिकांशतः निष्ठा और कर्मठता से

संपन्न नहीं हैं। हमारी राजनीति का स्तर प्रत्येक दृष्टि से गिरता जा रहा है । लगता है उसमें | होनी चाहिए, लोकमंगल की भावना ओर लोकानुभूति होनी चाहिए और लोकसंपर्क होना चाहिए। हमारे लोकतंत्र में इन आधारभूत तत्वों की कमी होने लगी है, इसलिए लोकतंत्र कमजोर दिखाई पड़ता है।

| सुयोग्य और सच्चरित्र लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है । लोकतंत्र के मूल में लोकनिष्ठा

हम प्रायः सोचते हैं कि हमारा देश-प्रेम कहाँ चला गया, देश के लिए कुछ करने, मर-मिटने की भावना कहाँ चली गई? त्याग और बलिदान के आदर्श कैसे, कहाँ लुप्त हो गए? आज हमारे लोकतंत्र को स्वार्थांधता का घुन लग गया है । क्या राजनीतिज्ञ, क्या अफसर, अधिकांश यही सोचते हैं कि वे किस तरह से स्थिति का लाभ उठाएँ, किस तरह एक-दूसरे का इस्तेमाल करें। आम आदमी अपने आपको लाचार पाता है और ऐसी स्थिति में उसकी लोकतांत्रिक आस्थाएँ डगमगाने लगती हैं।

लोकतंत्र की सफलता के लिए हमें समर्थ और सक्षम नेतृत्व चाहिए, एक नई दृष्टि, एक नई | प्रेरणा, एक नई संवदेना, एक नया आत्मविश्वास, एक नया संकल्प और समर्पण आवश्यक है । लोकतंत्र की सफलता के लिए हम सब अपने आप से पूछे कि हम देश के लिए लोकतंत्र के लिए क्या कर सकते हैं? और हम सिर्फ पूछकर ही न रह जाएँ, बल्कि संगठित होकर समझदारी, विवेक और संतुलन से लोकतंत्र को सफल और सार्थक बनाने में लग जाएँ।

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Answered by hemant397494
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Answer:

uski badi vajah h correptions and attitudes

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