कहीं मन न टिकने की स्थिति, अनमनाम
फागुन में गाए जाने वाले गीत जैसे होरी, फाग आदि गीतों
क्षितिज
पाठेतर सक्रियता
शब्द-संपदा
उन्मन
निदाय
सब, सारे
आभा
कठोर, भीषण
अट
समाना,
प्रविष्ट
पाट-पाट
जगह-जगह
शोभा-श्री
पट
समा नहीं रही है
इस कविता में भी निराला फागुन के सौंदर्य में डूब गए हैं। उनमें फागुन की आ
सौंदर्य से भरपूर
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Answer:
हिंदी खतरे में है। हिंदी वाला हूं खतरा शब्द सुनने का आदी हूं। हिंदी में युगों से खतरे की घंटियां टनटनाती हैं। घंटी जितनी बजती है हिंदी उतनी ही बढ़ती है। हिंदी और खतरे का ऐसा मनोरंजक संबंध देख लगा कि खतरावाद हिंदी का अपना खेल है। ‘खतरा’ हिंदी की शब्द संपदा को बढ़ाने वाला केंद्रीय तकनीकी पद है। सगोत्री शब्द भी हैं- ‘संकट’, ‘समस्याएं’, ‘असल मसले’, ‘असल मुद्दे’, ‘समाज’, ‘सामाजिकता’, ‘कमिटमेंट’ ‘प्रतिबद्धता’,‘संघर्ष’!
खतरे का मतलब क्या है? किससे है? कब तक है? चार सौ चालीस बोल्ट का है या बारह-चौदह हजार बोल्ट का है? करंट मारता है या तुरत भस्म देता है? आपने ऐसे मार्मिक सवाल किए नहीं कि हिंदी वाले ने आपको भस्म किया नहीं! हिंदी में इसी तरह कुछ भद्र शब्दसंपदा भी प्रचलन में आई है। ‘यह समय’, ‘इधर का समय’, ‘आज का समय’, ‘इनका समय’ ‘उनका समय’, ‘विनका समय’, ‘इसका समय’, ‘विसका समय’, ‘नया समय’..।