कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है। इस दृष्टि से ‘बहादुर’कहानी पर विचार करें ।
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Explanation:
छोटा मुँह बड़ी बात एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- अनधिकारी द्वारा कही हुई कोई गैर-जिम्मेदारी की बात।
प्रयोग- यदि मैं यह कहूँ कि हमारी यह नीति इस घर को ले डूबेगी तो छोटा मुँह बड़ी बात होगी।
Answer:
'बहादुर’कहानी पर विचार : इस प्रकार, हम पाते हैं कि 'बहादुर' कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है, क्योंकि नौकर' जैसे आदमी को नायकत्व प्रदान करती है और कथाकार के अन्तर की व्यथा को अभिव्यक्त करती है।
Explanation:
उत्तर कथाकार अपनी बहन के विवाह में घर गया तो भाभियों के आगे-पीछे नौकरों की भीड़ और पत्नी की खटनी देख ईर्ष्या हुई। पत्नी निर्मला भी 'नौकर' की रट लगाने लगी। अंत में साले साहब एक नेपाली ले आए। नाम दिल बहादुर ।
बहादुर के आने पर मुहल्ले वालों पर रौब जमा बहादुर ने भी इतनी खूबी से काम संभाला कि अब हर काम के लिए सभी उसी पर निर्भर हो गए। बेटे किशोर ने न सिर्फ अपने सभी काम बहादुर पर छोड़ दिए अपितु जरा सी चूक पर मार-पीट करने लगा। पत्नी ने भी पड़ोसियों के उकसावे में आकार उसकी रोटी सेकनी बंद कर दी और हाथ भी चलाने लगी।
एक दिन मेहमान आए। उनकी पत्नी ने कहा अभी- अभी रुपये रखे थे, मिल नहीं रहे हैं। बहादुर आया था, तत्काल चला गया। बहादुर से पूछ-ताछ शुरू हुई। उसने कहा कि न रुपये देखें, न लिया। कथाकार ने भी पूछा और मेहमान ने भी अलग ले जाकर पूछा, पुलिस में देने की धमकी दी लेकिन बहादुर मुकरता रहा। अंत में कथाकार ने झल्लाकर एक तमाचा जड़ दिया। बहादुर रोने लगा। इसके बाद तो जैसे सभी उसके पीछे पड़ गए।
एक दिन कथाकार जंब घर आए तो मालूम हुआ कि बहादुर चला गया, ताज्जुब तो तब हुआ जब पाया गया कि बहादुर यहाँ का कुछ भी लेकर नहीं गया बल्कि अपने सामान भी छोड़ गया है। लेखक व्यथित हो गया- चोरी का आरोपी न मालिक का कोई सामान ले गया, न अपना । इस प्रकार, हम पाते हैं कि 'बहादुर' कहानी छोटा मुँह बड़ी बात कहती है, क्योंकि नौकर' जैसे आदमी को नायकत्व प्रदान करती है और कथाकार के अन्तर की व्यथा को अभिव्यक्त करती है।
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