Hindi, asked by mksahu7898385201, 23 days ago

कहानी एक गमला है तो उपन्यास पूरा उधान प्रेमचंद के इस कथन को स्पष्ट करते हुए कहानी के कितने तत्व हैं उनके नाम लिखिए ​

Answers

Answered by shishir303
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¿ कहानी एक गमला है तो उपन्यास पूरा उद्यान प्रेमचंद के इस कथन को स्पष्ट करते हुए कहानी के कितने तत्व हैं उनके नाम लिखिए...

 

✎... ‘कहानी एक गमला है, और उपन्यास पूरा उद्यान’। प्रेमचंद का यह कथन बिल्कुल सटीक है। जहाँ कहानी मनोरंजन का साधन होती है और तो वहीं दूसरी ओर वह किसी जीवन मूल्य की ओर भी संकेत करती है।

किसी भी कहानी की पूर्णता के लिए उसके 6 तत्व होते हैं...

  1. कथावस्तु
  2. देश काल तथा वातावरण
  3. चरित्र चित्रण
  4. संवाद योजना
  5. उद्देश्य
  6. भाषा शैली

कथावस्तु : कथावस्तु कहानी की बुनियाद के समान है। कहानी की कथावस्तु जितनी अधिक मजबूत होगी, वह कहानी उतनी ही रोचक होगी।

देश काल तथा वातावरण :  देशकाल और वातावरण कहानी को एक अलग स्वरूप प्रदान करते हैं, जिससे उसका कहानी की प्रकृति का पता चलता है कि वह किस विषय पर आधारित है।

चरित्र चित्रण : कहानी पानी के पात्रों का चरित्र चित्रण उस कहानी को एक मजबूत स्वरूप प्रदान करता है। कहानी के पात्र जितने अधिक सुव्यस्थित होंगे, वह कहानी उतनी ही अधिक पाठक को बांधेगी।

संवाद या कथोपकथ : कथोपकथन अथवा संवाद योजना कहानी में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। संवाद कम शब्दों में अधिक बात कहने वाले होने चाहिए जिससे सरल शब्दों का प्रयोग हो। रोचक संवाद कहानी की सुंदरता को और बढ़ा देते हैं।

कहानी का उद्देश्य : हर कहानी का कोई ना कोई उद्देश्य होता है, जो उस कहानी के मूल विषय को प्रकट करता है। किसी कहानी का उद्देश्य मनोरंजन करना ही हो सकता है अथवा किसी कहानी का उद्देश्य सामाजिक संदेश देना भी हो सकता है। कोई कहानी किसी सामाजिक समस्या को उठाती हुई अपनी बात कहती है, इसलिए हर कहानी का अपना एक उद्देश्य होता है।

भाषा शैली : कहानी की भाषा शैली ऐसी होनी चाहिए जो हर पाठक को उस कहानी से जोड़े। भाषा-शैली में सरलता कहानी को अधिक से अधिक पाठकों को आकर्षित करने में सहायक होती है।

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Answered by SKASHISH666
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Explanation:

तभी तो सुप्रसिद्ध कहानीकार प्रेमचंद ने कहा है कि कहानी 'एक गमला है तो उपन्यास पूरा उद्यान। . कथावस्तु देशकाल तथा वातावरण चरित्र-चित्रण कथोपकथन अथवा संवाद उद्देश्य भाषा-शैली लेकिन कभी-कभी इनमें से कोई एक तत्त्व नहीं भी होता। ... उसी के अनुसार कभी घटनाओं की प्रधानता हो जाती है, कभी चरित्र और कभी वातावरण की

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