Hindi, asked by deepaksassan01, 16 days ago

कहानी जिसमें पढ़ाई या अनुभव काम आया हो(at least 100 words)
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Answered by mamtameena18480
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Answer:

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Explanation:

जब भी विकास पढ़ने के लिए किताबें निकालता तब उस का मन पढाई में नहीं लगता। किताबें खोलते ही उसे बाहर जा अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने का मन करता। माँ ने उसे कभी खेलने के लिए रोका नहीं था। सिर्फ इतना समझाया था कि खेलने के साथ पढ़ना भी कितना जरूरी है।

पर विकास का बिगड़ैल मन हमेशा उल्टा ही करता था। जब सब साथी स्कूल से आकर थोड़ा सुस्ता कर पढ़ने बैठ जाते और शाम को खेलने निकलते। वहीं विकास स्कूल से आकर टीवी देखने बैठ जाता और शाम होते ही खेलने निकल जाता। इसका नतीजा ये हुआ कि तिमाही परीक्षा में बड़ी ही मुश्किल से पास हो पाया।

इतने कम नंबर देख माँ ने उसे खूब डाँटा और पढ़ने पर ज़ोर देने को कहा। माँ के डर से वो पढ़ने तो बैठ जाता मगर उसका चंचल मन पढाई में उसका साथ ना देता।

फाइनल परीक्षा में कुछ हो दिन शेष रह गए थे जब एक छोटी सी घटना ने विकास की सोच को बदल दिया।

एक दिन शाम उसकी माँ ने उसे बताया कि धोबी अभी तक उसकी स्कूल यूनिफार्म लेकर नहीं आया था। और अगर नहीं आया तो वो अगले दिन स्कूल क्या पहन कर जाएगा। माँ ने ये भी बताया कि धोबी शायद बीमार न पड़ा हो। माँ ने उसे धोबी के घर जा अपनी यूनिफार्म लाने को कहा।

धोबी का घर पास ही की एक बस्ती में था इसलिए विकास पैदल ही चल पड़ा। इस बस्ती में काफी गरीब लोग ही रहते थे इसी कारण कई घरों में तो बिजली भी नहीं थी। मगर सड़कों पर बिजली के खंबे लगे थे जो चारों तरफ रौशनी फैला रहे थे।

विकास अपने धोबी के घर पहुंचा तो पता चला कि माँ का कहना सही था। धोबी बीमार पड़ा था और इसलिए यूनिफार्म लेकर नहीं आ पाया था। खैर, अपनी यूनिफार्म ले विकास घर वापिस चल दिया। अभी कुछ कदम ही चला होगा कि उसकी नज़र एक खंबे के नीचे बैठे एक लड़के पर गयी जो किताबें खोल पढ़ रहा था। उसकी लगन देख विकास उसके करीब गया और पूछा की आखिर वो इतनी रात सड़क पर बैठा क्यों पढ़ रहा है।

उस लड़के ने उसे बताया कि दिन भर वो अपने पिता के साथ घर घर जा सब्जी बेचता है और फिर दोपहर के स्कूल में पढ़ने जाता है। शाम को स्कूल से घर आकर घर के कामों में माँ का हाथ बटाता है। क्योंकि उसका परिवार बिजली का खर्चा नहीं उठा पता इसलिए रात का खाना खा यहाँ बैठ कर पढ़ता है।

अपनी उम्र के लड़के की दिनचर्या सुन विकास का मन रो पड़ा।

कहाँ मैं जो दिन भर खेलने और टीवी की सोचता हूँ। और कहाँ ये जो माँ और पिता के कामों में हाथ तो बटाने के बाद भी सड़क पर बैठा पढाई कर रहा है। उस लड़के की लगन को देख विकास का सर शर्म से झुक गया।

कदम तो घर की तरफ चल रहे थे मगर विकास के मन में रह रह कर उस लड़के की बातें ही आ रही थी। घर पहुँचते तक उसने ये ठान लिया कि आज से पढाई में पूरा मन लगा के पढ़ेगा।

और उसके उस दृढ़ निशचय ने रंग दिखाया। विकास सिर्फ पास नहीं हुआ बल्कि अपने स्कूल की वार्षिक परीक्षा में फर्स्ट आया

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