Social Sciences, asked by rohillamegha, 5 months ago

कहानी के अंतिम अनुच्छेद 'सारा घर माक्खियों में
कहीं जाना नहो' के आधार पर इस कहानी की मूल
ख संवेदना को प्रकट कीजिए।chapter2 Antra​

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Answered by Anonymous
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Answer:

हमारी स्मृति में किसी भी लेखक की नहीं, उसके लिखे की छवि होती है। निर्मल वर्मा को जिन्होंने पढ़ा है, वे जानते हैं कि गद्य का वैभव क्या होता है। बिना किसी कोलाहल के शब्दों का असर क्या होता है। निर्मल वर्मा ऐसे ही लेखकों में रहे हैं जिनके गद्य का जादू आज भी बोलता है तथा जिनके लिखे को आज भी लोग याद करते हैं। अपने उपन्यास, कहानी, रिपोर्ताज, निबंध, यात्रा वृत्तांत और अनुवाद सबमें उनकी मेधा अद्वितीय थी। उनके गद्य की त्वरा कुछ ऐसी थी जैसे बच्चा अपने कोमल पग रखता हुआ पृथ्वी पर चलता है। उनकी कहानियाँ पढ़ते हुए हमें जीवन की तमाम अदृश्य तहों में लेखक की गहरी पैठ का पता चलता है। धुंध से उठती धुन पढ़ते हुए हम उस धूमगंधी गैरिकवसना लोकोत्सवा छवि में डूब जाते हैं जिसे उन्होंने अपनी आँखों और संवेदना से रचा है। जिन्होंने रात का रिपोर्टर, एक चिथड़ा सुख और अंतिम अरण्य पढ़ा है, जिन्होंने परिंदे सहित उनकी कहानियाँ पढ़ी हैं, वे उनके जादू और सम्मोहन से मुक्त नहीं हो सकते।

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