कहानी के आधार पर 'बाबा भारती' और 'खड्गसिंह' के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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Answer:
खड़क सिंह के चरित्र की तीन विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
उत्तर: 'हार की जीत' कहानी में खड़क सिंह को एक भयंकर डाकू के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उसके चारित्र को कहानी में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। विषय वस्तु के अनुसार हम खड़क सिंह के चरित्र की तीन विशेषताओं को रेखांकित करेंगे-
(i) खड़क सिंह एक प्रसिद्ध डाकू था। लोग उसका नाम सुनकर ही कांपते थे।
(ii) खड़क सिंह बड़ा लोभी इंसान था। उसकी विशेषता थी कि उसे जो पसंद आ जाए वह उसे हासिल कर ही लेता था। इसलिए उसने सुलतान को भी छल से हासिल किया था।
(iii) डाकू होने के बावजूद उसमें विवेक और सूझबूझ की समझ थी। जिसके चलते उसने अपनी भूल को स्वीकारा और उसे सुधारा भी।
9. बाबा भारती का चरित्र चित्रण करो।
उत्तर: बाबा भारती हार की जीत कहानी का मुख्य पात्र है। कहानीकार सुदर्शन जी ने बाबा भारती को एक साधु-संत के रूप में दर्शाया है। जो अपने घोड़े से अपार प्रेम करता है और उसके साथ ही सारा जीवन व्यतीत करना चाहता है। कहानी में बाबा भारती के कई चारित्रिक विशेषताएंँ उभर कर आई है। उन विशेषताओं को हम निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर चर्चा करेंगे:-
(i) अपने घोड़े के प्रति प्रेम:-बाबा भारती को उसका घोड़ा सबसे प्यारा था। बाबा उसे प्यार से सुलतान कहकर पुकारते थे। सुलतान उन्हें इतना प्यारा था कि वह सुलतान से बिछड़ने की बात सोच भी नहीं सकते थे। उनके लिए सुलतान ही सब कुछ था। जब तक संध्या-समय सुलतान पर चढ़कर आठ दस मील का चक्कर न लगा लेते उन्हें चैन नहीं आता था।
(ii) नागरिक जीवन से घृणा: बाबा भारती को नागरिक जीवन से घृणा थी। उनके पास रुपया, माल, असबाब, जमीन आदि सब कुछ था, लेकिन उन्हें अकेले रहने में ही शांति मिलती थी। इसीलिए उन्होंने अपना सब कुछ त्याग दिया और एक छोटे से मंदिर में जाकर बस गए। वहांँ वे समय-समय भजन कीर्तन करते और अपने घोड़े के साथ सवारी में निकल पड़ते।
(iii) दीन-दुखियों के प्रति सहिष्णुता: भले ही बाबा भारती को सुलतान के सिवाय संसार से उसका कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन उसके मन में दीन-दुखियों के प्रति दया का भाव भी था। जिसका उदाहरण हमें कहानी के द्वारा ही मिलता है। जब खड़क सिंह ने अपाहिज का रूप धारण कर बाबा भारती से तीन मील तक के सफर के लिए उसके घोड़े पर सवार होने की प्रार्थना की, तब बाबा भारती उसकी सहायता करने के लिए घोड़े पर से उतरकर उसे घोड़े पर बिठा देता है। हालांकि उसे बाद में पता चलता है कि वह अपाहिज नहीं बल्कि डाकू खड़क सिंह था।
(iv) धैर्य एवं नम्रता के प्रतिमूर्ति: बाबा भारती धैर्य एवं नर्मदा के प्रतिमूर्ति थे। जब खड़क सिंह ने छल करके बाबा भारती से उसके जान से प्यारे घोड़े को छीन लिया था, तब बाबा भारती ने उल्टा उसे खरी खोटी सुनाने के बजाय धैर्य का प्रमाण देते हुए बड़ी नम्रता से एक ह्रदय स्पर्शी संवाद खड़क सिंह को सुनाते हैं। जिसको सुनने के बाद खड़क सिंह पर गहरा प्रभाव पड़ता है और बाबा को उसका घोड़ा लौटा दे आता है।
इस प्रकार बाबा भारती का चरित्र मानवीय गुणों से भरपूर इस कहानी की मर्यादा बढ़ाने में सार्थक सिद्ध होता है।