Hindi, asked by rar98862, 9 months ago

कहानी के प्रमुख तत्वों के आधार पर पुरस्कार कहानी की समीक्षा की​

Answers

Answered by saanvigoel
10

Explanation:

उत्तर- मैंने कोई गुनाह नाही करुंगा।

Answered by jayathakur3939
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तत्वों के आधार पर पुरस्कार कहानी की समीक्षा

1. कथावस्तु :–

‘संक्षिप्तता’ कहानी के कथानक का अनिवार्य गुण है।

वैसे तो कथानक की पांच दशाएं होती है

  1. ‘आरंभ’ ,
  2. ‘विकास’ ,
  3. ‘कोतुहल’ ,
  4. ‘चरमसीमा’
  5. और ‘अंत’ |

परंतु प्रत्येक कहानी में पांचों अवस्थाएं नहीं होती। अधिकांश कहानी में कथानक संघर्ष की स्थिति को पार करता है , विकास को प्राप्त कर कौतूहल को जगाता हुआ , चरम सीमा पर पहुंचता है और उसी के साथ कहानी का अंत हो जाता है।

2. पात्र का चरित्र चित्रण :–

आधुनिक कहानी में यथार्थ को मनोविज्ञान पर बल दिया जाने लगा है अंत उसमें चरित्र चित्रण को अधिक महत्व दी गई है अब घटना और कार्य व्यापार के स्थान पर पात्र और उसका संघर्ष ही कहानी की मूल धुरी बन गए हैं। कहानी के छोटे आकार तथा तीव्र प्रभाव के कारण सीमित होती है और दूसरे पात्र के सबसे अधिक प्रभाव पूर्ण पक्ष की उसके व्यक्तित्व कि केवल सर्वाधिक पुष्ट तत्व की झलक ही प्रस्तुत की जाती है।

 3. वातावरण  :-

कहानी में भौतिक वातावरण के लिए विशेष स्थान नहीं होता फिर भी इनका संक्षिप्त वर्णन पात्र के जीवन को उसकी मनः स्थिति को समझने में सहायक होता है। मानसिक वातावरण कहानी का परम आवश्यक तत्व है। प्रसाद की ‘पुरस्कार’ कहानी में ‘मधुलिका’ का चरित्र चित्रण में भौतिक और मानसिक वातावरण की सुंदरता सृष्टि हुई है।

ऐतिहासिक कहानी में भौतिक वातावरण , मानसिक कहानी का अतिरिक्त महत्व होता है , क्योंकि उसी के द्वारा लेखक पाठक को युग विशेष में ले जाता है और सच्ची झांकी को पेश करता है।

4. संवाद

कहानी में स्थगित कथन लंबे चौड़े भाषण या तर्क-वितर्क पूर्ण संवादों के लिए कोई स्थान नहीं होता। नाटकीयता लाने के लिए छोटे-छोटे संवादों का प्रयोग किया जाता है।

संवादों से आरंभ होने वाली कहानी वास्तव में प्रभावी होती है।

संवाद , देश काल , पात्र और परिस्थिति के अनुरुप होनी चाहिए।

वह संक्षिप्त रोचक तर्कयुक्त तथा प्रवाहमय हो उनका कार्य कथा को आगे बढ़ाना , पात्रों के चरित्र पर प्रकाश डालना , विचार विशेष का प्रतिपादन करना होता है।

 5. भाषा शैली :-  

1. कहानी को प्रभावशाली बनाने के लिए लेखक को थोड़े में बहुत कुछ कहने की कला में निपुण होना चाहिए।

2. लेखक का भाषा पर पूर्ण अधिकार हो कहानी की भाषा सरल , स्पष्ट व विषय अनुरूप हो।

3. उसमें दुरूहता ना होकर प्रभावी होना चाहिए , कहानीकार अपने विषय के अनुरूप ही शैली का चयन कर सकता है।

4. वह आत्मकथात्मक , रक्षात्मक , डायरी , नाटकीय शैली का प्रयोग कर सकता है।

 6. उद्देश्य

प्राचीन कहानी का उद्देश्य मात्र मनोरंजन या उपदेशात्मक था किंतु आज विविध सामाजिक परिस्थितियां जीवन के प्रति विशेष दृष्टिकोण या किसी समस्या का समाधान और जीवन मूल्यों का उद्घाटन आदि कहानी के उद्देश्य होते हैं यहां उल्लेखनीय है कि कहानी का मूल्यांकन करते समय उसमें निर्मिति और एकता का होना आवश्यक होता है कहानी यदि पाठक के मन पर अद्भुत प्रभाव डालती है तो कहानीकार का उद्देश्य पूर्ण हो जाता है।

अतः कहानी कला के शास्त्रीय नियमों की अपेक्षा उसकी अत्यंत प्रभाव क्षमता अधिक महत्वपूर्ण होती है।

 

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