कहानी के तत्वों के आधार पर "जुलूस कहानी की समीक्षा कीजिए।
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पूर्ण स्वराज्य का जुलूस निकल रहा था। कुछ युवक, कुछ बूढ़े, कुछ बालक झंडियाँ और झंडे लिये वंदेमातरम् गाते हुए माल के सामने से निकले। दोनों तरफ दर्शकों की दीवारें खड़ी थीं, मानो उन्हें इस लक्ष्य से कोई सरोकार नहीं हैं, मानो यह कोई तमाशा है और उनका काम केवल खड़े-खड़े देखना है
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जुलूस' कहानी की समीक्षा -
- 'जुलूस' कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई है I
- यह कहानी राष्ट्रपति बनने और राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत है।
- इस कहानी का मुख्य उद्देश्य लोगों में राष्ट्र भक्ति की भावना का प्रचार और प्रसार करना था।
- गांधीवादी विचारों से अत्यधिक प्रभावित होने के परिणामस्वरूप मुंशी प्रेमचंद ने यह कहानी लिखी थी।
- इस कहानी की पृष्ठभूमि और आधार उस दौरान भारत में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन की थी।
- कहानी के माध्यम से यह स्पष्ट किया गया है कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उस दौरान चलाए जा रहे आंदोलन से भारत की जनता को क्या क्या अपेक्षाएं और उम्मीदें थी।
- इस कहानी मे लेखक ने स्वतंत्रता स्वाधीनता संग्राम के आंदोलन में भाग लेने वाले उच्च वर्ग और आम जनता के योगदान का भी वर्णन किया है।
- कहानी के माध्यम से लेखक ने यह स्पष्ट करना चाहा है कि स्वतंत्रता की इस आंदोलन में उस स्वाधीनता संग्राम में ना केवल आम जनता शामिल थी बल्कि उसके साथ साथ उच्च वर्ग के प्रबुद्ध लोग भी भी शामिल हुए थे, उनके योगदान से ही स्वाधीनता संग्राम के इस आंदोलन को बल मिला था।
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