कहानी के तत्वों के आधार पर पूस की रात की समीक्षा कीजिए?
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'पूस की रात' मुन्शी प्रेमचन्द जी द्वारा लिखी गई एक मार्मिक और अति सन्वेदन्शील कहानी है।
इस कहानी में प्रेमचन्द जी ने अपने देश के किसानों की दशा के बारे में बताया है की वह कैसे अपना गुजारा करते हैं। उनकी गरीबी और उनके पास संसाधनों की कमी को दिखाते हुए इस कहानी के मुख्य पात्र हल्कू का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है। हल्कू पूस की कड़कती ठंडी रात में खुद को गरम रखने के लिए एक कम्बल खरीदने में भी असमर्थ था और ऐसी ही अनेकों बातों के ज़रिए प्रेमचंद जी ने ना केवल हल्कू बल्कि देश के सभी किसानों की गरीबी का हाल बताया है।
हल्कू की पत्नी मुन्नी द्वारा कही गई कुछ बातों के ज़रिए हमें यह भी पता चलता है की कैसे देश के किसान सेठों से पैसे उधार ले कर खेती करते हैं और फिर फसल से कमाए गए पैसों से उसी कर्ज़ को चुकाने में अपनी सारी पूंजी गवां देते हैं।
सीधे तौर पर इस कहानी के ज़रिए प्रेमचाँद जी ने ना केवल किसानों की दशा दिखाई है बल्कि यह भी दर्शाया है की कुछ अन्य लोगों के पास संसाधन इतने अधिक हैं की उन्हें खर्च करने का भी नहीं पता।
Answer:
पूस की रात कहानी प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गई है |
कहानी ‘पूस की रात’ में हल्कू के माध्यम से कहानी कार ने भारतीय किसान की लाचारी का यथार्थ चित्रण किया है ।
यह कहानी एक गाँव में हल्कू नामक एक गरीब किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था । हल्कू किसी और की जमीन में खेती करता था । उसकी आमदनी कुछ भी नहीं थी । हल्कू की पत्नी खेती करना छोड़कर और कहीं मजदूरी करने लग जाती है |
हल्कू के खेत के मालिक उसे बहुत तंग करते थे | मालिक उसे रोज़ गलियां हर कुछ बोलते थे | उसे खेत के मालिक का 3 रूप बकाया देने के लिए अपनी पत्नी के जम्मा किए हुए रुपए मांग कर उसे देता है | पूस की रात में ठंठ में बिना कम्बल के सोते है |
कहानी में एक दुर्बल किसान के जीवन के बारे बताया गया है | किस प्रकार वह मेहनत करके पैसा कमाता है और बचाता है, फिर भी वह जाड़े की ठंठ में सोता है , मालिक की डांट खाता है | बहुत प्रकार के कष्ट सहन करता | वह दुर्बल है , गरीब है उसके पास हिम्मत नहीं की वह न्याय के लिए लड़ाई कर सके |