कहानी लेखन एक गांव में ए किसान रहता था। वह प्रहनत और मजदूरी कर अपनी अपना आर अपने परिवारका सट पावती थाक दिन व मजदूरी के बार शाम को अपने घर लौट रहा था सुनसान रास्ते में एक बहार) भगवा महिता मिली वह भूख और प्यास में तड़प रही था को सास ने उसके पास जाकर उसके घरवानी के बारे संपूछा तो उसने बताया कि वह बेसहारा है। उसका बगडा हानत को देखकर किसान स रहा नहीं गया और उसे अपने धरल गया। कुछ कुछ ग बार उस महिला ने जुड़वा न बच्चों को जन्म दे दिया। इससे महिता के चेडर पर युशी की चमक बसर आइह अपने बच्चों के साथ सुश रहने लगा निकारक दिन बह बच्चों को घर पर छौंकर लकडिया बनने चत भर गई पछि से उसके बच्चे घर से ।
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Explanation:
एक किसान था, वह अपने खेतों में काम कर घर लौट रहा था। रास्ते में ही एक हलवाई की दुकान थी। उस दिन किसान ने कुछ ज्यादा काम कर लिया था और उसे भूख भी बहुत लग रही थी। ऐसे में जब वह हलवाई की दुकान के पास से गुजरा तो उसे मिठाइयों की खुशबू आने लगी। वह वहां खुद को रोके बिना नहीं रह पाया। लेकिन उस दिन उसके पास ज्यादा पैसे नहीं थे, ऐसे में वह मिठाई खरीद नहीं सकता था, तब वह कुछ देर वहीं खड़े होकर मिठाइयों की सुगंध का आनंद लेने लगा।
जब मिठाईवाले ने किसान को मजे से उसकी दुकान की मिठाइयों की खूशबू का आनंद लेते देखा, तब उससे किसान की खुशी देखी नहीं गई, वह किसान के पास गया और बोला, पैसे निकालो। किसान हैरान हुआ और बोला कि मैंने तो मिठाई नहीं खरीदी और न ही चखी है फिर पैसे किस बात के? हलवाई बोला, भले ही तुमने मिठाई नहीं ली हो, लेकिन मेरी बनाई मिठाई की खुशबू का आनंद तो लिया है।
हलवाई बोला, मिठाई की खुशबू लेना मिठाई खाने के बराबर ही है तो तुम्हें अब इसके पैसे देने होंगे।
किसान पहले थोड़ा घबराया, लेकिन फिर थोड़ी सूझबूझ दिखाते हुए उसने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाले और उन्हें दोनों हाथों के बीच में डालकर खनकाया। अब खनकाने के बाद किसान अपने रास्ते जाने लगा।
हलवाई बोला, मेरे पैसे तो दो! किसान ने कहा, जैसे मिठाई की खुशबू का आनंद लेने मिठाई खाने के बराबर ही है, वैसे ही सिक्कों की खनक सुनना भी पैसे लेने के बराबर ही है।
तो दोस्तों, कई बार आपको जीवन में इस हलवाई के जैसे लोग भी मिल जाएंगे, ऐसे में आप घबराएं नहीं। सूझबूझ से इन्हें जवाब दें और समस्या से इस किसान की तरह ही बाहर निकल जाएं।
Explanation:
एक किसान अपने खेत में काम करके अपने घर वापस लौट रहा था तो रास्ते में उसे एक हलवाई की दुकान दिखी और वह किसान इतना थका हुआ था और तो और उसके पास पैसे भी नहीं थे उसने को ज्यादा काम कर लिया था आज उसे बहुत भूख लग रही थी किसान हलवाई की दुकान को देख रहा था किसान सोचने लगा कि अगर मैं हलवाई की दुकान के बगल से जाऊंगा तो अपने आप को रोक नहीं पाए गायन तो हलवाई मिठाइयां खुश किसान की तो अपनी तरफ मोहित कर रही थी हिसार दुख नहीं पाया व्यस्त दुकान के पास से जाने लगा किसान हलवाई के पिटाई प्लीज खुशबू सूंघ रहा था क्योंकि वह मिठाई किसान को अपनी तरफ आंख कर रही थी इतनी में ही हलवाई किसान को देख लेता है वह किसान के पास आता है और बोलता है कि यह लव पैसे निकाल लो परंतु किसान बोला मैंने तो आप के बैठ आई लाइक आई लाइक खरीदी है तो इस बात के पैसे दे बोला आपने मेरी मिठाई खुशबू अंदर ली है मिठाई खाना और सुबह लेना एक ही बात है मुझे पैसे दे दो किसान परेशान किसान के पास पैसे नहीं थे सिर्फ हलवाई किसान से बोला कोई बात नहीं आप यह मिठाई ले लो पैसे मुझे सिर कभी दे देना