कहानी लेखन ।
(१) गड़रिया (झूठ का फल)
Answers
Explanation:
श्याम एक चरवाहा था। वह रोज गांव वालों की भेड़ों को चराने चरागाह में ले जाता और शाम को वापस ले आता। वह बहुत ही शरारती था और अक्सर झूठ बोलकर लोगों को परेशान किया करता था।
एक दिन उसे एक नई शरारत सूझी। जब वह भेड़ों को चरा रहा था तब अचानक चिल्लाने लगा, "शेर आ रहा है, शेर आ रहा है, भेड़ों को खा जाएगा, मुझे भी खा जाएगा।"
यह आवाज सुनकर गांव के लोग अपना-अपना काम छोड़कर लाठी, भाले, बरछे लेकर उसी तरफ दौड़ पड़े। जब गांव वाले निकट आए तो श्याम जोर-जोर से हंसने लगा। बोला, “मैंने तो मजाक किया था।"
गांव वाले भुनभुनाते हुए वापस लौट गए।
उसे अपनी इस हरकत पर बड़ा मजा आया। अगले दिन उसने फिर से वैसा ही किया। इस बार भी गांव वाले उसकी मदद करने को दौड़ पड़े, लेकिन जब उन्हें पता चला कि इस बार भी चरवाहे ने झूठ बोला है तब वे लौट गए। इस तरह श्याम ने 'शेर आया, शेर आया' करके गांव वालों को कई बार तंग किया।
एक दिन जब वह भेड़ें चरा रहा था तब वास्तव में अचानक एक शेर दहाड़ता हुआ वहां आ पहुंचा। श्याम ने मदद के लिए गांव वालों को पुकारा, किंतु इस बार कोई भी गांव वाला नहीं आया। सब अपने-अपने कामों में जुटे रहे।
श्याम इस बार सचमुच मदद के लिए पुकार रहा था, लेकिन गांव वाले झूठ ही समझ रहे थे। कुछ ही देर में शेर ने श्याम का काम तमाम कर दिया। इस तरह चरवाहे को झुठ बोलने का फल मिल गया।
झठ बोलना बुरी आदत है, फिर लोगों को परेशान करके अपने आनंद लिए झुठ बोलने को क्या कहें! श्याम बेशक खेल-खेल में ऐसा करता था। शेर...आया..शेर आया' का झूट उसी पर भारी पड़ेगा-यह वह नहीं जानता था। जब वास्तव में शेर आया तब उसे मदद नहीं मिली और वह मौत के गाल में समा गया। सत्य ही है कि झूठ बोलने का परिणाम जानलेवा भी हो सकता है।
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गड़रिया ( झूठ का फल ) इस विषय पर कहानी लेखन निम्न प्रकार से किया गया है।
एक गांव में शेरू नाम का एक गड़रिया रहता था। वह नित्य अपने भेड़ों को घास चराने गांव खुले मैदान में ले जाता था। यह स्थान जंगल से थोड़ी ही दूरी पर था।
शेरू बहुत शरारती लड़का था। वह बात बात पर मजाक किया करता था। सभी को अपनी शरारतों से परेशान किया करता था।
एक दिन जब वह भेड़ों को चराने ले गया , उसे एक मजाक सूझा, वह अचानक से शेर आया, शेर आया , बचाओ, बचाओ, ऐसा कहकर चिल्लाने लगा। उसकी चीख सुनकर गांव वाले दौड़े दौड़े अपने साथ हथियार ले शेरू को बचाने के लिए आए। जब वे उस मैदान में पहुंचे तो देखा कि शेरू हंस रहा था। गांव वालो को उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया।
उसने एक बार फिर यही मजाक दोहराया। गांव वाले उसकी चीख सुनकर समझ बैठे कि शेर आया है। जब उन्होंने यह देखा कि शेरू मजाक कर रहा है तो वे शेरू से नाराज़ हुए।
एक बार जब शेरू भेड़ चरा रहा था, तब उसने देखा कि शेर आया है, वह जोर जोर से चिल्लाने लगा, " शेर आया, शेर आया, बचाओ, बचाओ" । इस बार कोई उसे बचाने नहीं आया क्योंकि शेरू की मजाक करने की आदत थी तो गांव वालों को लगा कि वह झूठ बोल रहा है।
शेरू की शरारत का फल उसे भोगना पड़ा। शेर उसे खा गया।
शीर्षक: इस कहानी का उचित शीर्षक होगा झूठ का फल।
सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए।
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