कहानी लेखन हवा निबंध हिंदि
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पृथ्वी पर जीवन का मूल आधार सर्वप्रथम वायु को दिया जाता है जिसके द्वारा पेड़, पौधे, पशु, पक्षी, इन्सान तथा सभी जीवित प्राणी जीवन प्राप्त करते हैं । वायु से प्राप्त आक्सीजन के द्वारा ही इन्सान का जीवन सुचारू रूप से किर्याशील है अन्यथा एक मिनट के सिमित समय में आक्सीजन प्राप्त ना होने पर इन्सान मृत्यु को प्राप्त हो जाता है । इसलिए वायु के बगैर जीवन की कल्पना करना भी कठिन कार्य है । इन्सान के मस्तिक को भी आक्सीजन की पूर्ति ना होने पर वह कार्य करना बंद कर देता है तथा इन्सान कोमा के कारण बेहोश मरणासन्न अवस्था में जीवित रह जाता है । ऐसे कारण वायु की महत्वता को प्रमाणित करते हैं ।
इन्सान को जीवित रहने के लिए प्रतिदिन औसतन ३५० लीटर आक्सीजन की आवश्यकता होती है जिसे वह ८५०० से ९००० लीटर वायु का शोषण करके प्राप्त करता है । किसी मेहनत के कार्य तथा तीव्र गति से कार्य करते समय इन्सान की कोशिकाएं आक्सीजन की अधिक मात्रा का संचय करती हैं जिससे इन्सान की साँस तीव्रता से चलने लगती है । अपनी सांसो को व्यस्थित करने के लिए इन्सान को आराम की आवश्यकता पडती है तथा तेज सांसें लेनी पडती हैं ऐसी किर्याओं द्वारा इन्सान को वायु का महत्व समझना एंव उसका उपयोग सीखना आवश्यक है जिससे उसका जीवन संतुलित निर्वाह हो सके ।
आक्सीजन के अभाव से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की अल्प मात्रा से शरीर को अनेक प्रकार की बिमारियों द्वारा ग्रसित करके जीवन को असंतुलित कर देती है । बीमार शरीर तथा असंतुलित जीवन इन्सान की सभी प्रकार की सफलताओं तथा बुलंदियों में अवरोधक का कार्य करता है । बिमारियों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के लिए नित्य प्राणायाम करके सफलता प्राप्त करी जा सकती है ।
प्राण अर्थात जीवन व याम अर्थात वायु प्राणायाम अर्थात जीवन प्रदान करने वाली वायु का उपयोग करना जिससे शरीर में आक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रबल होकर बिमारियों का सर्वनाश कर देती है । प्राणायाम करने का उचित समय प्रभात की अमृत बेला को दिया जाता है क्योंकि प्रभात में वायु प्रदुषण रहित होती है तथा वातावरण शांत व स्वच्छ होता है ।
वायु का महत्व ज्ञात होने पर भी इन्सान वायु प्रदुषण की रोकथाम में सक्रिय भूमिका ना अपना कर स्वयं वायु प्रदुषण की वृद्धि करने में सहयोग करते हैं । सरकारें भी वाहन प्रदुषण के नाम पर वाहनों तथा कारखानों से मोटी रकम का जुर्माना वसूल करती अवश्य है परन्तु प्रदुषण रोकने का कार्य नहीं करती । समाज द्वारा धर्म व त्योहारों के नाम पर तथा शादी विवाह के मौकों पर भयंकर से भयंकर प्रदुषण करने वाले पटाखों का प्रयोग करना समाज का प्रदुषण के प्रति अपने कर्तव्य से विमुखता का प्रमाण है ।
पटाखों द्वारा होने वाला ध्वनी प्रदुषण तथा वायु प्रदुषण पर प्रतिबंध लगाने पर ना धर्म को किसी प्रकार की हानि होगी तथा ना समाज का किसी प्रकार का नुकसान होगा परन्तु वातावरण में प्रदुषण का प्रभाव कम होने से इन्सान के स्वास्थ्य में लाभ अवश्य होगा । प्रदुषण फ़ैलाने से रोकने के कार्य को अंजाम देने के नाम पर सभी इन्सान सिर्फ एक दूसरे का मुंह ताकते हैं एंव प्रदुषण की वृद्धि में लगे रहते हैं स्वयं को प्रदुषण की वृद्धि से रोक कर कम से कम उसका हिस्सा बनने से तो बचा जा सकता है । इन्सान को वायु का महत्व समझना होगा तभी इन्सान अपने जीवन को सुरक्षित कर सकेगा क्योंकि जीवन यदि जीना है तो वायु को स्वच्छ रखना भी आवश्यक है ।
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एक समय की बात है, सूर्य और हवा में यह बहस छिड़ गई कि उन दोनों में कौन अधिक शक्तिशाली है। हवा ने सूर्य से कहा, ”मैं तुमसे अधिक शक्तिशाली हूं।“
”नहीं तुम मुझसे अधिक शक्तिशाली नहीं हो।“ सूर्य ने कहा।प्रकार वे दोनों एक दूसरे से लगभग छः हफतों तक बहस करते रहे।
मगर मामला था कि उलझता ही जा रहा था।
अंत में हवा ने कहा- ”चलो, देखते हैं कि हम दोनों में कौन सबसे अधिक शक्तिशाली है।“
”ठीक है, मैं भी राजी हूं।“ सूर्य ने कहा।
तभी अचानक उन्होनें देखा कि सामने से एक यात्री आ रहा था। उसे देखकर हवा को अपनी शक्ति का प्रर्दशन करने की एक युक्ति सूझ गई।
उसने सूर्य से कहा- ”देखो, वह यात्री आ रहा है, हम दोनों में से जो भी उसे अपना कोट उतारने पर विवश कर देगा, वहीं शक्तिशाली समझा जाएगा। सबसे पहले मैं प्रयत्न करूंगी। तक तक तुम बादलों की ओट में छिप जाओ।“सूर्य के बादलों में छिपते ही हवा बहुत जोर से चलने लगी।
मगर हवा में जितनी अधिक तेजी आती, यात्री उतनी ही मजबूती से अपना कोट अपने शरीर के इर्द-गिर्द लपेट लेता, ताकि वह ठंड से बचा रहे।
हवा बहुत देर तक बहुत तेजी से चलती रही और अंत में थक कर शांत हो गई। वह उस यात्री का कोट उतारने में किसी भी प्रकार सफल न हो सकी।
उसे हार-थककर शांत होते सूर्य ने कहा- ”अब मेरी बारी है।“
तब हवा एकदम बंद हो गई और सूर्य बादलों से बाहर निकलकर तेजी से चमकने लगा।
‘ओह! कितनी गरमी हो गई है।’ यात्री ने कहा- ‘कोट उतारना ही पड़ेगा।’यात्री ने इस प्रकार गरमी से परेशान होकर कोट उतरा फेंका। यह देख कर हवा ने खामोशी से अपनी पराजय स्वीकार कर ली और सूर्य को नमस्कार करके आगे बढ़ गई।
सूर्य और हवा की शिक्षाप्रद कहानी से शिक्षा – अपनी ताकत और योग्यता पर कभी घमंड न करो।