Hindi, asked by gustavgupta10203, 5 months ago

कहानी लेखन के बिनू 4,6,8,1 को लिखो​

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Answered by abhinav8310
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sorry.........................

Answered by mpssankar
1

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किंतु संत नहीं रुके

वह निरंतर चलते रहे अंततः ऋषि एक कुटिया में पहुंचे।

अब उनके पास केवल दो ही शिष्य थे। वह उन शिक्षकों को लेकर उस कुटिया में गए और प्रसन्नता पूर्वक कहा मैं ! तुम्हें अपनी सारी विधाएं सुपुर्द करूंगा तुम्हें गेहूं से हीरा बनाने की विद्या का अभ्यास कराऊंगा।

यह कहते हुए उन्होंने अपने दोनों शिष्यों को गेहूं का एक-एक दाना दिया और मंत्र पढ़ने को कहा। एक शिष्य मंत्र पढ़ते – पढ़ते बेहोश हो गया जिसके कारण उसका मन्त्र अधूरा रह गया और हीरा नहीं बन सका। किंतु दूसरे शिष्य ने पूरा मंत्र पढ़कर उस गेहूं से हीरा बना दिया क्योंकि इस विषय में ज्ञान लेने के लिए इस शिष्य की इच्छा शक्ति थी , लगन थी जिसके कारण भूख , प्यास , थकान सभी पर शिष्य ने विजय पा लिया था।

वह शिष्य अपने गुरु के कहे हुए हर एक शब्द का , हर एक आज्ञा का पालन करता था। जिसके कारण वह अन्य शिष्यों से अलग था। संत ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए अपने शिष्य को संपूर्ण ज्ञान अपने शिष्य की झोली में डाल दिया।

क्योंकि यह शिष्य अपने गुरु के ज्ञान का सच्चा अधिकारी था।

निष्कर्ष –

ज्ञान प्राप्त करना कोई साधारण कार्य नहीं है , इसके लिए एकनिष्ठ का भाव आवश्यक है ।

अपने गुरु के समक्ष सर्वस्व समर्पित कर लगन से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। कबीर ने भी कहा है –

” यह घर है प्रेम का खाला का घर नाही , शीश उतार भुइँ धरो फिर पैठो घर माहिं।

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