Hindi, asked by kishoryadav61082, 2 months ago

कहानी लेखन "मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है"
जो सही जवाब लिखेगा उसे मै brainlist tag dugi....
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Answers

Answered by twinklekotangale
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Answer:

जो व्यक्ति जिस पद पर है, वह सेवा को अगर अपना कर्तव्य बना ले और ईमानदारी से उसका निर्वहन करे तो विवेकानंद की परिकल्पना का भारत उदय होगा। कहा कि शिक्षित, स्वस्थ भारत से ही हम उन्नत भारत के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं। इस दौरान एडवोकेट एमएम जीना एवं कवि राम कृष्ण कोठारी ने काव्य पाठ किया।

Answered by gs7729590
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Answer:

Your Ans

मानव सेवा ही ईश्वर सेवा के समान है ।

इसलिए दुखी व्यक्ति की मदद करें, इससे बड़ा दूसरा कोई कार्य नहीं होता।

इंसान बहुत सारी चीजों के पीछे भागता है जिसमें से प्रमुख धन्य है और इस संसार से विदा लेने के बाद वह धन को अपने साथ लेकर नहीं जाता है बल्कि अपने साथ लेकर जाता है अपनी सच्ची सेवा और सच्चे कर्म।

अगर आप भगवान की पूजा करने के लिए मंदिर जा रहे हैं और रास्ते में किसी भूखा, प्यासा आपसे मदद चाहता हो।

तो आपका फ़र्ज़ बनता है कि आप उसकी मदद करे। और उसके बाद ईश्वर की सेवा। क्योंकि मानव में ही ईश्वर वास करते हैं।

इसलिए हमेशा याद रखिए कि आपका सबसे पहला धर्म मानव धर्म हैं।

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Math, 10 months ago