Hindi, asked by kishoryadav61082, 1 month ago

कहानी लेखन "मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है"
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Answers

Answered by ashishkshirsagar3262
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Answer:

ईश्वर की उपासना करने के लिए कहीं बाहर जाने कीआवश्यकता नहीं है। मानव की सेवा करना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है। इस सूत्र को अपनी कार्यपद्धति में अपनानेवाली श्रीमती सुमन तुलसियानी का जन्म जैसे समाजसेवा के लिए ही हुआ है। लक्ष्मी व सरस्वती का वरदहस्त प्राप्त करने वाली यह महिला समाज के उन लोगों को आर्थिक सहयोग प्रदान करती है जो बीमार हैं या शैक्षणिक क्षेत्र में प्रगति करना चाहते हैं, परंतु आगे बढ़ने के लिए आर्थिक रूप से अक्षम हैं। श्रीमती सुमन तुलसियानी जीवन में स्वास्थ्य और शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण मानती हैं। उनका कहना है कि देश की प्रगति तभी हो सकती है, जब लोग स्वस्थ और शिक्षित होंगे। अपने धन को किसी ऐसे व्यक्ति को देना जिसे उसकी आवश्यकता है, यह प्रवृत्ति ही मनुष्य को समाज में आदरणीय बनाती है।

Explanation:

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Answered by XxItzCutieXx12
8

  • ईश्वर की उपासना करने के लिए कहीं बाहर जाने कीआवश्यकता नहीं है। मानव की सेवा करना ही सच्ची ईश्वर भक्ति है। अपने धन को किसी ऐसे व्यक्ति को देना जिसे उसकी आवश्यकता है, यह प्रवृत्ति ही मनुष्य को समाज में आदरणीय बनाती है। ...

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