कहानी लेखन मिट्टी चाँद खरगोश कागज
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आज मैं आपको एक औरत की सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, इस कहानी से आपको एक प्रकार की सीख भी मिलेगी और साथ ही ये कहानी भी आपको अच्छी लगेगी. तो अब मैं आपका ज्यादा टाइम ना लेते हुए , सीधे कहानी पर ही आता हूँ. किसी ठेकेदार के महल के पास एक अनाथ विधवा की झोंपड़ी थी.
ठेकेदार साहब को अपने महल का हाता उस झोंपड़ी तक बढा़ने की इच्छा हुई, विधवा से बहुत कहा कि अपनी झोंपड़ी हटा ले, पर वह तो कई जमाने से वहीं बसी थी. उसका प्रिय पति और इकलौता पुत्र भी उसी झोंपड़ी में मर गया था. बेटे की बहु भी एक सात बरस की कन्या को छोड़कर चल बसी थी. अब यही उसकी पोती इस वृद्धाकाल में एक मात्र आधार थी. जब उसे अपनी पूर्व स्थिति की याद आ जाती, तो मारे दु:ख के फूट फूट रोने लगती थी. जब से उसने अपने पड़ोसी का हाल सुना, तब तक उसे उस मिटटी से प्यार हो गया था.
उस झोंपड़ी में उसका मन लग गया था, कि बिना मरे वहाँ से वह निकलना नहीं चाहती थी. तब वे अपनी जमींदारी चाल चलने लगे. बाल की खाल निकालने वाले वकीलों की थैली गरम कर उन्होंने अदालत से झोंपड़ी पर अपना कब्जा करा लिया और विधवा को वहाँ से निकाल दिया. बिचारी अनाथ तो थी ही, पास पड़ोस में कहीं जाकर रहने लगी.
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