- कहानी लेखन मक सन्चन का पुणवान पुत्र-बरी संगति पिताजी को दुल-उपदेश व्यर्थ - बाजार से अछे आम की टोकरी न खरीदना बुलाना - उन आमों मे एक सड़ा आम रवाना - दुसरे दिन खाने के लिम टोकरी खोलना - सारे आम सड़े हुम निकालना - पुत्र को बात समझ मे ऑन्ग- सीखाशीर्षक पुत्र को --
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कहानी लेखन मक सन्चन का पुणवान पुत्र-बरी संगति
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दुसरे दिन खाने के लिम टोकरी खोलना - सारे आम सड़े हुम
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