कहानी-लेखन :
• निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर लगभग 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए
तथा सीख लिखिए:
किसी गाँव में अकाल दयालु जमींदार द्वारा रोज लोगों को रोटियाँ बाँटना
एक बालिका
का छोटी रोटी लेना -घर जाना रोटी तोड़ना रोटी में सोने का सिक्का निकलना - लड़की का
जमींदार के पास जाना - सोने का सिक्का लौटाना
इनाम पाना
शिक्षा।
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Answers
Answer:
कहानी :-
रागपुर नाम का एक गाव था एक साल उस इलाके में बरसात नहीं हुई , खेती मारी गई और भारी अकाल पड़ा । रामपुर भी अकाल के भीषण तांडव सेकच नहीं पाय । लोग भूखों मरने लगे । रामपुर का जमींदार बड़ा दयालु था । मासूम बच्चों और बेसहारा औरतों को भूखे मरते देखकर उसे बहुत दुख हुआ । गाँव की दुर्दशा उससे देखी न गई । उसने लोगों को रोटियां बांटना शुरू किया । एक दिन उसने जानबूझकर एक रोटी छोटी बनवाई । जब रेटियां बांटी जाने लगी , तब सभी बड़ी - बड़ी रोटी लेने की कोशिश कर रहे थे छोटी रोटी लेने के लिए कोई तैयार नहीं हो रहा था । इतने में एक छोटी बालिका आई । उसने सोचा छोटी रोटी ही मेरे लिए काफी है । उसने फौरन वह रोटी ले ली । घर जाकर बालिका ने रोटी तोडी तो से सोने का एक सिन्का निकला ।
बालिका और उसके माँ - बाप उस सिक्के को लौटाने के लिए जमींदार के घर जा पहुंचे ।
जमीदार ने बालिका से कहा - यह सिक्का तुम्हारे संतोष और सच्चाई का इनाम है । वे बहुत खुश हुए और सिक्का लेकर घर लौट आए ।
शीर्षक :-
सन्तोष ही सचा धन है
सीख :-
संतोष और सच्चाई अच्छे गुण है । शुरू - शुरू में भले कोई लाभ न दिखाई दे , परन्तु अन्त में उसका सदा अच्छा फल मिलता है ।
दिए गए मुद्दों के आधार पर कहानी लेखन निम्न प्रकार से किया गया है।
धरमपुर नाम का एक गांव था। उस गांव में एक बार अकाल पड़ गया। बारिश नहीं हो रही थी। किसानों की फसलें वर्षा न होने के कारण नष्ट हो गई। लोग भूख प्यास से मरने लगे। जानवर भी प्यास से तड़पने लगे।
उस गांव का जमींदार माधव दास बहुत दयालु प्रवृत्ति का था। भूख प्यास से मरते लोगो को देखकर उसे बहुत दुख हुआ। उसने गांव में रोटियां बांटनी शुरू की। जब रोटियां बंटती उस वक्त लोगों की भीड़ जमा हो जाती। एक दिन उसने एक छोटी रोटी बनवाई तथा उसमे सोने का सिक्का डलवाया।
उस गांव में रानी नाम की बालिका भी थी। वह भी रोटी लेने पंक्ति में रूकी, सभी लोग बड़ी बड़ी रोटियां के रहे थे, छोटी रोटी को कोई हाथ नहीं लगा रहा था। रानी छोटी रोटी लेकर ही संतुष्ट हो गई।
घर जाकर रानी ने जैसे ही रोटी खाने के लिए उसे तोड़ा, उसमे से सोने का सिक्का निकला।
वह भागती भागती जमींदार माधवदास के पास अाई तथा सोने का सिक्का माधवदास को लौटा दिया। माधवदास उसकी ईमानदारी देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने रानी से कहा कि यह सिक्का तुम्हारा ही है क्योंकि छोटी रोटी लेकर तुमने यह साबित किया कि तुम लालची नहीं हो, यह तुम्हारा इनाम है।
शीर्षक
इस कहानी का उचित शीर्षक होगा
" परोपकारी जमींदार "
सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें लालच नहीं करनी चाहिए , जो कुछ मिलता है उसमे संतोष करना चाहिए।
#SPJ2