कहानी लेखन
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर लगभग ७० से ८० शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए तथा
सीख लिखिए।
(गाँव में पानी की समस्या____सभा का आयोजन___ श्रमदान करने का निर्णय____पहले केवल एक आदमी
का आना____धीरे-धीरे पूरे गाँव का आना____ तालाब की खुदाई____जमकर बारिश____तालाब भरना.
सीख -
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अच्छे-अच्छे काम करते जाना। राजा ने कूड़न किसान से कहा था। कूड़न अपने भाइयों के साथ रोज खेतों पर काम करने जाता दोपहर को कूड़न की बेटी आती, खाना लेकर। एक दिन घर वापस जाते समय एक नुकीले पत्थर से उसे ठोकर लग गई। मारे गुस्से के उसने दरांती से पत्थर उखाड़ने की कोशिश की। लेकिन यह क्या? उसकी दरांती तो सोने में बदल गई। पत्थर उठाकर वह भागी-भागी खेत पर आती है और एक साँस में पूरी बात बताती है। एक पल को उनकी आँखे चमक उठती हैं, बेटी के हाथ पारस पत्थर लगा है। लेकिन चमक ज्यादा देर नहीं टिक पाती। लगता है देरसबेर कोई-न-कोई राजा को बता ही देगा। तो क्यों न खुद राजा के पास चला जाए। राजा न पारस लेता है न सोना। बस कहता है,‘इससे अच्छे-अच्छे काम करते जाना। तालाब बनाते जाना।’
अनुपम मिश्र की पुस्तक ‘आज भी खरे हैं तालाब’ का यह शुरुआती हिस्सा दरअसल समाज को मिले उस पारस पत्थर की कहानी है जिसे हम तालाब कहते हैं। मध्य प्रदेश के देवास जिले के तालाब रूपी पारस पत्थर का स्पर्श इन दिनों उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के किसानों की जमीन को सोना बना रहा है।
महोबा जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर चरखारी विकासखण्ड में एक गाँव है सूपा। इस गाँव के किसान जगमोहन बताते हैं कि शुरू में अपने बच्चों को शहर रोजी-रोटी के लिये जाने से रोक नहीं सकता था। इसकी वजह थी पानी की समस्या। जो खेती के लिये बड़ा संकट था। लेकिन यह मायूसी लम्बी नहीं रही। आस-पास के किसानों को खेत में तालाब बनाकर लाभ कमाते देख जगमोहन ने भी हिम्मत जुटाई और अपने खेत में तालाब तैयार किया। अब जगमोहन के परिवार में शायद किसी को अपने पुरखों की ज़मीन छोड़कर महानगरों की खाक छाननी पड़े। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड इलाके का महोबा जिला क्षेत्र के किसानों के विकास की नई तस्वीर बन कर उभर रहा है। विकास के इस पौधे को पानी मिल रहा है। जल संरक्षण के देवास मॉडल से।