Hindi, asked by dhyani9559, 5 months ago

कहानी :-


(सहयोग पर आधारित

Answers

Answered by rt85598
2

Answer:

hay

Explanation:

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Answered by suryahegde0609
1

Answer:

शहर के निकट एक छोटा-सा गांव था। मार्ग में नदी होने के कारण गांव वालों को आने-जाने में काफी दिक्कत उठानी पड़ती थी। आखिर सबने मिल-जुलकर श्रम-दान से एक छोटा-सा पुल बनाया ।

वह बहुत ही सकरा था | उस पर से एक समय में एक ही व्यक्ति आ-जा सकता था।

एक बार की बात है कि दो मनुष्य, एक पुर्व दिशा से और एक पश्चिम दिशा से उस पर आ पहुंचे । दोनों पुल को पार करना चाहते थे। पुल के मध्य में दोनों का मिलाप हुआ । बात ही बात में दोनों भिड़ गये ।

कोई भी मुड़ना नहीं चाहता था। न एक-दूसरे को मार्ग देने के लिए तैयार था। आपस में तनाव बढ़ा। गाली-गलौज की नौबत आ गई। वचनयुद्ध के बाद हाथापाई भी शुरू हो गई । लड़ते-लड़ते कुछ ही क्षणों में दोनों पुल के नीचे गिर पड़े और दोनो ने ही सदा के लिए आंखें मूंद लीं।

नदी पर स्नान करने वाले लोगों ने यह दृश्य देखा तो सबके मुंह से सहज आवाज निकली 'हाय ! मनुष्य-मनुष्य का भी सहयोग करना नहीं चाहता ।'

कुछ दिनों बाद दो बकरियां उसी पुल पर पहुंची । एक पूर्व दिशा से आ रही थीं और दूसरी पश्चिम दिशा से । पुल के मध्य भाग में दोनों का मिलन हुआ।। दोनों पुल को पार करना चाहती थीं। कुछ क्षणों तक दोनों एक-दूसरे के मुंह की तरफ झांकने लगी । पश्चिम दिशा से आने वाली बकरी पुल पर झट लेट गई।

उसकी यह सहानुभूति देखकर पूर्वे दिशा से आने वाली बकरी बहुत ही खुश हुई और घीरे-घीरे उस पर पैर रखकर आगे बढ़ गईं। दोनों बकरियां पुल को पार करके अपने इक्षित स्थान पर पहुंच गई । वहां स्नान कर रहे लोगों ने यह दृश्य देखा।

सबके मुंह से एक ही स्वर निकला कि पारस्परिक सहयोग के अभाव में मनुष्य ने तो अपना ज़ीवन खो दिया और बकरियों ने आपसी समझौते और सहयोग से पुल को पार कर लिया. धन्य है इनके सहानुभूति को..

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सहयोग और सहानुभूति सफलता का महामन्त्र है। इसमें टूटे दिल को जोड़ने की अगम्य शक्ति होती है। अतः हर व्यक्ति को सहयोग और समझौते की भावना का विकास करना चाहिए ।

आपस का सहयोग ही, सफल सफलता मन्त्र ।

मित्रभाव बिन क्या कभी, जल सकता जन-तंत्र ॥

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