कहानी-समीक्षा हेतु ध्यान रखने योग्य बातें :-
कहानी समीक्षा करते समय हम उसके कथानक, पात्र, भाषा-शैली, उद्देश्य ,संवाद आदि तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं। किसी भी कहानी की समीक्षा करते समय आवश्यक नहीं कि हम उसके सकारात्मक तथ्यों का ही प्रकटन करें बल्कि हम किसी भी ऐसी बात के विषय में ,जो हमें पसंद नहीं आई, लिख सकते हैं।समीक्षा करते समय हमें निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए-
#कथानक
कथावस्तु संक्षिप्त है या विस्तृत
कथावस्तु का आरंभ, अंत, मध्य प्रभावशाली होना
कथावस्तु का विषय रोचक होना
#पात्र
पात्र कथानक के अनुसार कितने वास्तविक
आपका पसंदीदा पात्र तथा उसकी विशेषताएँ
#भाषा शैली
सरल,स्पष्ट तथा प्रभावशाली भाषा का प्रयोग
परिवेश तथा पात्रों के अनुसार भाषा का प्रयोग
भाषा में तत्सम,तद्भव,देशज,विदेशी शब्द तथा मुहावरे ,लोकोक्तियों का प्रयोग
#संवाद
कहानी परिस्थिति तथा पात्रों के अनुसार संवाद का प्रयोग
संवाद संक्षिप्त या विस्तृत
संवाद कितने प्रभावी
#उद्देश्य
कहानी का उद्देश्य मात्र मनोरंजन करना, उपदेश देना, वातावरण से परिचित कराना या किसी समस्या का समाधान देना हो सकता है।
कहानी उद्देश्य पूर्ति में कितनी सक्षम रही
प्रश्न - उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर अपनी सहायक पुस्तक "आजादी की राह पर कुछ कथाएँ" में दी गई निम्नलिखित कहानियों में से किसी एक कहानी की समीक्षा कीजिए-
कहानियाँ :
1- अभिमानी का सिर नीचा
2- शब्द जाल
3- नियम सबके लिए हैं
4- अदम्य साहस
Answers
Answer:
२. पात्र का चरित्र चित्रण –
आधुनिक कहानी में यथार्थ को मनोविज्ञान पर बल दिया जाने लगा है अंत उसमें चरित्र चित्रण को अधिक महत्व दी गई है अब घटना और कार्य व्यापार के स्थान पर पात्र और उसका संघर्ष ही कहानी की मूल धुरी बन गए हैं। कहानी के छोटे आकार तथा तीव्र प्रभाव के कारण सीमित होती है और दूसरे पात्र के सबसे अधिक प्रभाव पूर्ण पक्ष की उसके व्यक्तित्व कि केवल सर्वाधिक पुष्ट तत्व की झलक ही प्रस्तुत की जाती है।
अज्ञेय की शत्रु कहानी में एक ही मुख्य पात्र है जैनेंद्र के खेल कहानी में चरित्र चित्रण में मनोविज्ञान आधार ग्रहण किया गया है अतः कहानी के पात्र वास्तविक सजीव स्वाभाविक तथा विश्वसनीय लगते हैं पात्रों का चरित्र आकलन लेखक प्राया दो प्रकार से करता है प्रत्यक्ष या वर्णात्मक शैली द्वारा इसमें लेखक स्वयं पात्र के चरित्र में प्रकाश डालता है परोक्ष या नाट्य शैली में पात्र स्वयं अपने वार्तालाप और क्रियाकलापों द्वारा अपने गुण दोषों का संकेत देते चलते हैं इन दोनों मैं कहानीकार को दूसरी पद्धति अपनानी चाहिए इससे कहानी में विश्वसनीयता एवं स्वाभाविकता आ जाती है।
Explanation:
कहानी के तत्व की संपूर्ण जानकारी इस पोस्ट में आपको प्राप्त होगी।
अंत तक इस लेख को जरूर पढ़ें आपको एक वीडियो भी हमारे द्वारा दी गई है पोस्ट के नीचे जिसे आप देख कर कहानी के तत्व आराम से समझ सकते हैं।