कहीं पड़ी उर मैं मंद गंध पुष्प माल- पंक्ति में निहित सौंदर्य को स्पेशतः व्यक्त कीजिये
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O कहीं पड़ी उर मैं मंद गंध पुष्प माल- पंक्ति में निहित सौंदर्य को स्पेशतः व्यक्त कीजिये।
► ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ द्वारा रचित ‘उत्साह’ नामक कविता की इन पंक्तियों में ही निहित सौंदर्य में कवि ने फागुन महीने की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन अद्भुत तरीके से किया है। फागुन महीने के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर कवि के हृदय में अनेक तरह के भाव उमड़ते हैं।
कवि इन पंक्तियों ‘कहीं पड़ी उर मैं मंद गंध पुष्प माल’ के माध्यम से प्रकृति में व्याप्त चारों तरफ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहता है कि चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे मानो फागुन के गले में मंद मंद सुगंध से मस्त कर देने वाले फूलों की माला पड़ी हो।
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