कह रही है उठ नया कम कर, नाम कर
जो अधूरी रही वह सुबह कल गई,
मान ले अब यही कुछ कमी रह गई,
ले नई ताजगी यह सुबह आ गई,
कह रही - मीत उठ, बात कर कुछ नई,
ओ सृजन-दूत तू शक्ति संभूत तम,
क्यों खड़ा राह में अश्व यों थाम कर
दूसरों की बनाई डगर छोड़ दे,
तू नई राह पर कारवाँ मोड़ दे,
फोड़ दे शिलाएँ चुनौती भरी
कर अवरोध को निष्करुण तोड़ दे,
व्यर्थ जाने ना पाए महापर्व यह .
जो स्वयं आ गया तेरी डगर
1. कविता क्या सन्देश देती है?
2. सुबह मानव से क्या कह रही है?
3. कवि चुनौतियों का सामना कैसे करने के लिए कह रहा है?
4. कविता को उचित शीर्षक दीजिये |
TT
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Answer:
- कविता यह संदेश दे रही है कि सुबह हो गयी है
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