Hindi, asked by nasirgodil33gmailcom, 6 months ago

कहीं रहे कैसे भी मुझको प्यारा यह इंसान है,
मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है,
अरे नहीं देवत्व, मुझे तो भाता है मनुजत्व ही,
और छोड़कर प्यार नहीं, स्वीकार सकल अमरत्व भी,
मुझे सुनाओ तुम न स्वर्ग-सुख की सुकुमार कहानियाँ,
मेरी धरती सौ-सौ स्वर्गों से ज्यादा सुकुमार है।
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।
iska kavita ka anuvad chahiye ​

Answers

Answered by souravbharti665
1

Answer:

SORRY CAN'T UNDERSTOOD THE QUESTION

Answered by Ayushboss99
1

Explanation:

कहीं रहे कैसे भी मुझको प्यारा यह इंसान है,

मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है,

अरे नहीं देवत्व, मुझे तो भाता है मनुजत्व ही,

और छोड़कर प्यार नहीं, स्वीकार सकल अमरत्व भी,

मुझे सुनाओ तुम न स्वर्ग-सुख की सुकुमार कहानियाँ,

मेरी धरती सौ-सौ स्वर्गों से ज्यादा सुकुमार है।

कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।

iska kavita ka anuvad chahiye

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