कही रहीम सम्पत्ति सगे , बनत बहुत बहू रीत । बिपती कसौटी जे कसे , तेई सचे मीत।।
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अर्थ : रहीम दास जी ने इस दोहे में सच्चे मित्र के विषय में बताया है। वो कहते हैं कि सगे-संबंधी रुपी संपत्ति कई प्रकार के रीति-रिवाजों से बनते हैं। पर जो व्यक्ति आपके मुश्किल के समय में आपकी मदद करता है या आपको मुसीबत से बचाता है वही आपका सच्चा मित्र होता है।
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