kahani Hindi mein Hans aur Kauwa ki kahani
Answers
Answer:
कही दूर एक कौआ रहा करता था। वह कौआ अपने जीवन से बहुत ही खुश था। वह कौआ जो भी सोच लेता उसे कर ही लेता था। एक दिन जब वह एक नदी के पास एक पेड़ की डाल पर बैठा था। तो उसे वहाँ कुछ हंस नजर आई।
हंस को यह कौआ बस देखता जा रहा था। कौआ काला था और हंस का रंग बिल्कुल दूध की तरह सफ़ेद। कौआ सोचने लगा क्या हो अगर मैं हंस की तरह सफ़ेद हो जाऊ।
उसे कौआ को अपने काले रंग से नफरत होने लगी। वह जल्द से जल्द सफ़ेद होना चाहत था। उस कौआ ने कुछ दिनों तक हंस को देखा। वह क्या खाती है, कैसे उड़ाती है, इसके साथ ही बहुत कुछ जो हंस करती है।
कौआ को लगा अगर मैं साबुन से नहा लू तो मैं भी सफ़ेद हो सकता हूँ। कौआ एक घर में गया। उस घर में से कौआ अपने मुँह में साबुन लेकर उड़ गया। साबुन को लेकर कौआ एक नदी के किनारे आकर नहाने लगा।
वह काफी देर तक नहाता रहा। फिर भी वह काला से सफ़ेद न हो सका। उस कौआ को ठंड भी लग रही थी।
अब उसे समझ में आ गया था कि कुछ भी करके वह सफ़ेद नहीं हो सकता है। मन में निराशा लेकर वहाँ से चला गया। अगले दिन ज्यादा नहाने के कारण उसकी तबियत भी ख़राब हो गई। इसके साथ ही वह उसके शरीर के पंख भी झड़ने लगा।
अब उस कौए को अपने शरीर की असली कीमत समझ में आ गई थी। इस कहानी का मूल्य हमेशा याद रखे।
इस कहानी से हमें सीख मिलता है कि हमें अपने शरीर के रंग, रूप को किसी दूसरे के साथ नहीं तुलना चाहिए। हर एक व्यक्ति अपने आप में खास है।
Explanation:
hope it is helpful