Kahani Lekhan On 'ANOKHA BHAWAN' In Hindi class 10
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“तुम्हें लगा उसे अब इस घर से मोह नहीं रह गया है. ऐसा नहीं है. घर के सदस्यों के प्रति मोह है, तो मतलब घर…
कहानी- होम स्वीट होम 1 (Story Series- Home Sweet Home 1)
“तुम्हें लगा उसे अब इस घर से मोह नहीं रह गया है. ऐसा नहीं है. घर के सदस्यों के प्रति मोह है, तो मतलब घर से भी मोह है.”
“शायद आप ठीक कह रहे हैं.” प्रतिमाजी चाय ख़त्म कर काम पर लग गई थीं. लेकिन प्रकाशजी जानते थे कि वह अभी तक पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो पाई है.
‘कुछ बातें इंसान वक़्त के साथ ही समझ पाता है.’ सोचकर उन्होंने ख़ुद को आश्वस्त कर लिया था.
सवेरे के काम निपटाती प्रतिमाजी की नज़र सामने की दीवार पर लगी खिलखिलाते अपने दोनों बच्चों की तस्वीर पर पड़ी, तो अनायास ही उनके मुंह से निकल गया, “हंस लो दो दिन! परसों आ रही है दीया! सारी पुरानी तस्वीरें उतारकर नई लगा जाएगी.”
पत्नी की प्रतिक्रिया से प्रकाशजी भी मुस्कुराए बिना न रह सके. “यह तुम बेटी पर ग़ुस्सा कर रही हो या प्यार जता रही हो?”
“अब कुछ भी समझ लो, पर आने के बाद एक बार पूरे घर को उलट-पुलट न दे, तब तक उसे चैन नहीं पड़ता. ये क्या, अभी तक पुराने फोटोज़ फ्रेम में लगा रखे हैं! डबलबेड, सोफा, डाइनिंग टेबल तक की भी अभी तक वही पोज़ीशन है जैसी मैं छोड़कर गई थी. ओह! कैलेंडर के पन्ने तक आप लोगों से नहीं पलटे जाते. सारा घर मेरे ही भरोसे पड़ा रहता है… बस, ऐसे ही बड़बड़ाती रहेगी और सब इधर-उधर करती रहेगी.” बेटी की नकल उतारती प्रतिमाजी बेटी के मनपसंद लड्डू और मेथी-मठरी तैयार करने रसोई में चली गई थीं.
प्रकाशजी आह्लादित थे बेटी का घर के प्रति अपनापन और मां का बेटी के प्रति प्यार देखकर. दीया आई और घर को एक बार फिर नए सांचे में ढालकर, अपनी लड्डू-मठरी समेटकर हॉस्टल लौट गई.
प्रकाशजी और प्रतिमाजी जहां बेटी के प्यार से अभिभूत थे, वहीं अंतिम वर्ष में पढ़ रही बेटी के विवाह को लेकर चिंतित भी. दौड़-भागकर आख़िर उन्होंने एक अच्छी जगह उसका रिश्ता तय कर दिया और पढ़ाई समाप्त होते ही उन्होंने उसके हाथ भी पीले कर दिए.
दीया