kahani lekhan on ( hathi aur darzi ki mitrta)
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बहुत समय पहले की बात है, एक दर्जी था जो बहुत ही दयालु और जानवरों से बहुत अधिक प्यार करने वाला व्यक्ति था। जानवरों से बहुत अधिक प्यार करने वाले स्वभाव के कारण उसके वहां एक हाथी प्रतिदिन आया करता था।
वह उस हाथी को प्रतिदिन खाने के लिए कुछ ना कुछ जरूर देता था। जबकि हाथी उसे इसके बदले कभी-कभी अपनी पीठ पर बैठाकर सैर कराने ले जाता था।
कुछ समय बाद दर्जी को एक दिन किसी दूसरे शहर जाना पड़ा। उसने अगले दिन अपनी दुकान पर अपने पुत्र को बैठने के लिए कहा। दर्जी के पुत्र ने इसके लिए हां कर दी और अगले दिन वह दुकान संभालने के लिए गया।
अगले दिन, प्रतिदिन की तरह इस बार भी हाथी दर्जी की दुकान पर आया। दर्जी का पुत्र बहुत ही शरारती प्रवृत्ति का था इसलिए उसने हाथी की सूंड में सुई चुभा दी। सुई चुभने के कारण हाथी को बहुत दर्द हुआ और वह वहां से भागकर तालाब की ओर चले गया।