kahani on vahi manushye hai jo manushye ke liye mare
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दक्ष की मृत्यु ने महाराजा दिलीप की आँखें खोल दीं । उसने कसम खाई कि वह आगे युद्ध नहीं करेगा और अपनी सारी ज़िन्दगी शान्ति स्थापित करने में लगाएगा । दक्ष अन्त में समझा गया था कि मनुष्य है वही , जो मनुष्य के लिए मरे । दक्ष ने जाते-जाते उसे मानवता का पाठ पढ़ाया था ।
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