कहते हैं न कि यदि लगन लग जाए तो कोई भी कार्य पूर्ण होते देर नहीं लगती और यदि लगन रचनात्मक एवं
सकारात्मक हो तो वह पतिष्ठा एवं ख्याति अर्जित कर लेती है । लगन को हम धुन भी कह सकते है जैसे तुलसीदास जी को रामधुन लगी तो रामचरितमानस जैसी कालजयी कृति की रचना हुई । मीराबाई चैतन्य आदि ने तो गिरधर गोपाल की में ही जीवन व्यतीत किया । वर्तमान समय में भी कछ परोपकारी समाज सेवियों दवारा समाज के उत्थान एवं कल्याण की लगन कुछ इस प्रकार सामने आ रही है कि लोग अपने आस-पास के निर्धन तथा पिछडे वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने का कार्य कर समाज को नयी दशा एवं दिशा प्रदान कर रहे हैं। किसी को सर्दियों के मौसम में ठिठुरते लोगों को कम्बल ओढ़ाने की लगन है तो किसी को गरम चाय की दो चुस्कियों से राहत पहुँचाने की लगन है। इतना ही नहीं हमारी प्राचीन परम्पराओं तथा संस्कृति को आगे बढ़ाने की लगन भी प्रायः देखने को मिलती है। लगन का मुद्दा कोई भी हो रचनात्मकता एवं सकारात्मकता अवश्य होनी चाहिए, जिससे समाज को सही दशा, दिशा एवं वसुधैव कुटुम्बकम का सन्देश मिल सके।
प्रश्न 1- जीवन में लगन का क्या रूप होना चाहिए? स्पष्ट करें।
प्रश्न 2- सकारात्मक लगन से हम क्या अर्जित कर सकते हैं? प्रश्न 3- तुलसीदास जी की कृति में किस महान चरित्र की जीवन गाथा है?
कृति एवं चरित्र का नाम बताएँ।
प्रश्न 4 - गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यय (किन्हीं दो) शब्दों को चुनिए। प्रश्न 5- गद्यांश में से शब्द लिखिए जिसका विलोम है पतन
please I need help
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I can't read hindhi but hello fella ARMYYYYYY
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sorry army but i am a Sanskrit student not hindi
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