Hindi, asked by rafemo615, 6 hours ago


कहते हैं दुनिया बड़ी भुलक्कड़ है! केवल उतनी ही याद रखती है
जितने से उसका स्वार्थ साधता है। बाकी को फेककर आगे बढ़ जाती है
शायद अशोक से उसका स्वार्थ नहीं साधा। क्यों उसे वह याद रखती है?
संसार स्वार्थ का अखाड़ा ही है।
(1). उपर्युक्त गद्यांश के पाठ ओर लेखक का नाम लिखिए।
(II). रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
(III). अशोक को विस्मृत करने का आधार किसे माना गया है ?
(IV). लेखक ने दुनिया का किस करह का व्यवहार बताया है ?
(M). स्वार्थ का अखाड़ा किसे कहा गया है ?​

Answers

Answered by pandeydevannshi
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Answer:

(i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गद्य-गरिमा’ में संकलित तथा हिन्दी के सुविख्यात निबन्धकार आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘अशोक के फूल’ नामक ललित निबन्ध से अवतरित है।

अथवा

पाठ का नाम- अशोक के फूल।।

लेखक का नाम-आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी।

(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या-द्विवेदी जी कहते हैं कि यह संसार बड़ा स्वार्थी है। यह उन्हीं बातों को याद रखता है, जिनसे उसका कोई स्वार्थ सिद्ध होता है, अन्यथा व्यर्थ की स्मृतियों से यह अपने आपको बोझिल नहीं बनाना चाहता। यह उन्हीं वस्तुओं को याद रखता है, जो उसके दैनिक जीवन की स्वार्थ-पूर्ति में सहायता पहुँचाती हैं। बदलते समय की दृष्टि में अनुपयोगी होने से यदि कोई वस्तु उपेक्षित हो जाती है तो यह उसे भूलकर आगे बढ़ जाता है।

(iii) अशोक को विस्मृत करने का आधार स्वार्थवृत्ति को माना गया है।

(iv) लेखक ने दुनिया के व्यवहार को इस तरह का बताया है कि यह केवल उतना ही याद रखती है जितने से इसका स्वार्थ सधता है। बाकी को फेंककर आगे बढ़ जाती है।

(v) सारे संसार को स्वार्थ का अखाड़ा कहा गया है।

Answered by rathijayant32
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Answer:

लेखक ने दुनिया का किस करह का व्यवहार बताया है ?

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