कहते हैं, दुनिया बड़ी मुलक्कड़ है। केवल इतना ही याद रखती है, बिजने से उसका स्वार्थ सधता है। बाकी को फेंककर आगे बढ़ जाती है। शायद अशोक से उसका स्वार्थ नहीं सधा। क्यों उसे वह याद रखती? सारा संसार स्वार्थ का अखाड़ा ही तो है।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) प्रस्तुत गद्यांश में किस प्रसंग की चर्चा की गई है?
(ii) लेखक ने गद्यांश में किस प्रकार के लोगों को स्वार्थी कहा है?
(iii) "सारा संसार स्वार्थ का अखाड़ा ही तो है" में लेखक का क्या तात्पर्य है?
(iv) 'फूल' शब्द के पर्यायवाची लिखिए।
(v) स्वार्थ शब्द का विलोम लिखिए।
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प्रस्तुत गद्यांश में किस प्रसंग की चर्चा की गई है?
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