कहत-सुनत समुझत कठिन, साधत कठिन विवेका हॉहि धुणाक्षर न्याय ते, पर प्रत्यूह अनेक।। नीति का यह उदाहरण किसने दिया
है-
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OA.वेद व्यास
OB.मनु
OC.तुलसीदास
OD.महर्षि पतंजलि
छंद शास्त्र का सबसे प्राचीन ग्रंथ है-
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:
DA.ज्योतिष ग्रंथ
08.पिंगल छद सूत्र
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कहत-सुनत समुझत कठिन, साधत कठिन विवेका
हॉहि धुणाक्षर न्याय ते, पर प्रत्यूह अनेक यह नीति तुलसीदास ने दोहे के रूप में प्रस्तुत किया।
उपर्युक्त दोहे का भावार्थ
ज्ञान कहने और समझाने में कठिन, समझने में कठिन और साधने में भी कठिन होता है। यदि घुणाक्षर न्याय से संयोगवश यह ज्ञान हो भी जाए, तो भी उसे बचाए रखने में अनेकों विघ्न का सामना करना पड़ेगा।
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने 39 ग्रंथो की रचना की थी। इनमें रामचरित मानस, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण आदि विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। संवत् 1680 में उन्होंने अपने शरीर का परित्याग किया।
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