Kaidi aur Kokila ' kavita ka pratipadya apne sabdon mein likhiye .
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नमस्ते मित्र !
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प्रस्तुत कविता ' कैदी और कोकिला ' के लेखक ' माखनलाल चतुर्वेदी ' द्वारा लिखित कविता है ।
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में सन् 1889 में हुआ ।
मात्र १६ वर्ष की अवस्था में वे शिक्षक बने । बाद में अध्यापन कार्य छोड़कर उन्होंने प्रभा पत्रिका का संपादन शुरु किया ।
सन् १९५७ में उनका देहांत हो गया ।
कवि ने इस कविता के माध्यम से बताया है की आओ मेरे देश वासियों हम सभी एक जूट होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े |
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प्रश्न के लिए धन्यवाद!
☺️☺️
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प्रस्तुत कविता ' कैदी और कोकिला ' के लेखक ' माखनलाल चतुर्वेदी ' द्वारा लिखित कविता है ।
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में सन् 1889 में हुआ ।
मात्र १६ वर्ष की अवस्था में वे शिक्षक बने । बाद में अध्यापन कार्य छोड़कर उन्होंने प्रभा पत्रिका का संपादन शुरु किया ।
सन् १९५७ में उनका देहांत हो गया ।
कवि ने इस कविता के माध्यम से बताया है की आओ मेरे देश वासियों हम सभी एक जूट होकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े |
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कैदी और कोकिला माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखी गयी है ।
माखनलाल चतुर्वेदी बहुत बड़े देश प्रेमी थे , उन्होंने कविता के माध्यम से पराधीन भारत अथवा अंग्रेजो के नीचे चलने वाले भारत की जेलों की दुर्दशा का विवरण किया है ।
इस कविता के माध्यम से कवि लोगो में क्रांति करने का आह्वान कर रहा है । कारागृह में कवि देर रात को कोकिल की आवाज सुनकर आंदोलित हो उठता है । उसका मन जिज्ञासा एवं प्रश्नों से भर उठता है ।
वह जेल में चोर , डाकुओं, लुटेरो, राहमारो के साथ रहने के लिए विवश है । अंग्रेजी सरकार ने उन पर मन माने अत्याचार किये । कवि फिर भी निराश नहीं हुआ । जेल की यातनाओ को वो गौरव मानता है । हथकड़ियों को वो गहना मानता है ।
वह हर प्रकार की यातनाएँ सहने के बाद भी निडरता के साथ स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान तक देने के लिए तैयार है । कवि जागरूक लोगो में से एक है । उसका जज्बा अभी भी कायम है ।
★ AhseFurieux ★
माखनलाल चतुर्वेदी बहुत बड़े देश प्रेमी थे , उन्होंने कविता के माध्यम से पराधीन भारत अथवा अंग्रेजो के नीचे चलने वाले भारत की जेलों की दुर्दशा का विवरण किया है ।
इस कविता के माध्यम से कवि लोगो में क्रांति करने का आह्वान कर रहा है । कारागृह में कवि देर रात को कोकिल की आवाज सुनकर आंदोलित हो उठता है । उसका मन जिज्ञासा एवं प्रश्नों से भर उठता है ।
वह जेल में चोर , डाकुओं, लुटेरो, राहमारो के साथ रहने के लिए विवश है । अंग्रेजी सरकार ने उन पर मन माने अत्याचार किये । कवि फिर भी निराश नहीं हुआ । जेल की यातनाओ को वो गौरव मानता है । हथकड़ियों को वो गहना मानता है ।
वह हर प्रकार की यातनाएँ सहने के बाद भी निडरता के साथ स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान तक देने के लिए तैयार है । कवि जागरूक लोगो में से एक है । उसका जज्बा अभी भी कायम है ।
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