Kaidi aur kokila summary
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कैदी के जीवन पर जेल के असर का चित्रण यहाँ हुआ है। वहाँ पर बेड़ियाँ और हथकड़ियाँ ही कैदी का गहना बन जाती हैं। कोल्हू चलने से जो चर्र चूँ की आवाज आती है वही कैदी का जीवन गान बन जाती है। कोल्हू के डंडे पर कैदियों की अंगुलियों के निशान इस तरह पड़ गये हैं जैसे उस पर गाने उकेर दिये गये हों।
कवि को लगता है कि जुआ खींच कर वह अंग्रेजों की अकड़ का कुआँ साफ कर रहा है। दिन में शायद करुणा को जागने का समय नहीं मिल पाया होगा, इसलिए रात में वह कोयल के रूप में कैदियों का ढ़ाढ़स बंधाने आई है।
कवि को लगता है कि जुआ खींच कर वह अंग्रेजों की अकड़ का कुआँ साफ कर रहा है। दिन में शायद करुणा को जागने का समय नहीं मिल पाया होगा, इसलिए रात में वह कोयल के रूप में कैदियों का ढ़ाढ़स बंधाने आई है।
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कैदी और कोकिला माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखी गयी है ।
माखनलाल चतुर्वेदी बहुत बड़े देश प्रेमी थे , उन्होंने कविता के माध्यम से पराधीन भारत अथवा अंग्रेजो के नीचे चलने वाले भारत की जेलों की दुर्दशा का विवरण किया है ।
इस कविता के माध्यम से कवि लोगो में क्रांति करने का आह्वान कर रहा है । कारागृह में कवि देर रात को कोकिल की आवाज सुनकर आंदोलित हो उठता है । उसका मन जिज्ञासा एवं प्रश्नों से भर उठता है ।
वह जेल में चोर , डाकुओं, लुटेरो, राहमारो के साथ रहने के लिए विवश है । अंग्रेजी सरकार ने उन पर मन माने अत्याचार किये । कवि फिर भी निराश नहीं हुआ । जेल की यातनाओ को वो गौरव मानता है । हथकड़ियों को वो गहना मानता है ।
वह हर प्रकार की यातनाएँ सहने के बाद भी निडरता के साथ स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान तक देने के लिए तैयार है । कवि जागरूक लोगो में से एक है । उसका जज्बा अभी भी कायम है ।
★ AhseFurieux ★
माखनलाल चतुर्वेदी बहुत बड़े देश प्रेमी थे , उन्होंने कविता के माध्यम से पराधीन भारत अथवा अंग्रेजो के नीचे चलने वाले भारत की जेलों की दुर्दशा का विवरण किया है ।
इस कविता के माध्यम से कवि लोगो में क्रांति करने का आह्वान कर रहा है । कारागृह में कवि देर रात को कोकिल की आवाज सुनकर आंदोलित हो उठता है । उसका मन जिज्ञासा एवं प्रश्नों से भर उठता है ।
वह जेल में चोर , डाकुओं, लुटेरो, राहमारो के साथ रहने के लिए विवश है । अंग्रेजी सरकार ने उन पर मन माने अत्याचार किये । कवि फिर भी निराश नहीं हुआ । जेल की यातनाओ को वो गौरव मानता है । हथकड़ियों को वो गहना मानता है ।
वह हर प्रकार की यातनाएँ सहने के बाद भी निडरता के साथ स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान तक देने के लिए तैयार है । कवि जागरूक लोगो में से एक है । उसका जज्बा अभी भी कायम है ।
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