Hindi, asked by ishant170498, 2 months ago

कई गलियों के बीच
कई नालों के पार
कूडे-करकट
के ढेरों के बाद
बदबू से फटते जाते इस
टोले के अंदर
खुशबू रचते है हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
please sabdarth bata dejiye​

Answers

Answered by khushbukumari09110
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Answer:

नई गलियों के बीच

कई नालों के पार

कूड़े करकट

के ढ़ेरों के बाद

बदबू से फटते जाते इस

टोले के अंदर

खुशबू रचते हैं हाथ

खुशबू रचते हैं हाथ!

अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। अगरबत्ती हालाँकि पूजा पाठ में इस्तेमाल होती है लेकिन इसकी खुशबू ही शायद वह वजह होती है कि लोग इसे प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं। इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के यथार्थ के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर है। अगरबत्ती का कारखाना अकसर किसी तंग गली में, नालों के पार और बजबजाते कूड़े के ढेर के समीन होता है। ऐसे स्थानों पर कई कारीगर अपने हाथों से अगरबत्ती को मूर्त रूप देते हैं।

उभरी नसोंवाले हाथ

घिसे नाखूनोंवाले हाथ

पीपल के पत्ते से नए नए हाथ

जूही की डाल से खुशबूदार हाथ

गंदे कटे पिटे हाथ

जख्म से फटे हुए हाथ

खुशबू रचते हैं हाथ

खुशबू रचते हैं हाथ!

अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ किस्म किस्म के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ बच्चे भी काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नये पत्तों की तरह कोमल होते हैं। कुछ कम उम्र की लड़कियाँ भी होती हैं जिनके हाथ जूही की डाल की तरह होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और जख्म से फटे हुए भी होते हैं।

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