Hindi, asked by Adeensufyian, 3 months ago

*कक्षा : आठवीं*
*हिंदी परियोजना (Hindi Project)*
असम / मेघालय के सांस्कृतिक जीवन के बारे में जानकारी लिखिए ।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

मेघालय के अधिकांश लोग और प्रधान जनजातियां मातृवंशीय प्रणाली का अनुसरण करते हैं, जहां विरासत और वंश महिलाओं के साथ चलता है। कनिष्ठतम पुत्री को ही सारी संपत्ति मिलती है और वही बुजुर्ग माता-पिता और किसी भी अविवाहित भाई बहन की देखभाल भी किया करती है।[1] कुछ मामलों में, जहां परिवार में कोई बेटी नहीं है या अन्य कारणों से, माता-पिता किसी और बेटी को नामांकित कर सकते हैं जैसे कि अपनी पुत्रवधू को, और घर के उत्तराधिकार और अन्य सभी संपत्तियों का अधिकार उसे ही मिलता है।

खासी और जयन्तिया जनजाति के लोग पारम्परिक मातृवंशीय प्रणाली का पालन करते जिसमें खुन खटदुह (अर्थात कनिष्ठतम पुत्री) घर की सारी सम्पत्ति की अधिकारी एवं वृद्ध माता-पिता की देखभाल की उत्तरदायी होती है। हालांकि पुरुष वर्ग, विशेषकर मामा इस सम्पत्ति पर परोक्ष रूप से पकड बनाए रहते हैं, क्योंकि वे इस सम्पत्ति के फ़ेरबदल, क्रय-विक्रय आदि के सम्बन्ध में लिये जाने वाले महत्त्वपूर्ण निर्णयों में सम्मिलित होते हैं। परिवार में कोई पुत्री न होने की स्थिति में खासी और जयन्तियाॐ (जिन्हें सिण्टेंग भी कहा जाता है) आइया रैप आइङ्ग का रिवाज होता है, जिसमें परिवार किसी अन्य परिवार की कन्या को दत्तक बना कर अपना लेता है, और इस तरह वह का ट्राई आइङ्ग (परिवार की मुखिया) बन जाती है। इस अवसर पर पूरे समुदाय में धार्मिक अनुष्ठान होते हैं व उत्सव मनाया जाता है।[2]

गारो वंश प्रणाली में, सबसे छोटी पुत्री को स्वतः रूप से परिवार की संपत्ति विरासत में मिलती है, यदि एक और पुत्री का नाम माता-पिता द्वारा नहीं निर्धारित किया जाता है। उसके बाद उसे नोकना, अर्थात "घर के लिए" नामित किया जाता है। यदि किसी परिवार में कोई बेटियां नहीं हैं, तो चुनी हुई पुत्रवधू (बोहारी) या एक दत्तक पुत्री (डरागता) को घर में रखते हैं और उसे ही गृह सम्पत्ति मिल जाती है।

मेघालय में विश्व की सबसे बड़ी जीवित मातृवंशीय संस्कृति प्रचलन में है

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