Hindi, asked by tanmay561, 1 year ago

कक्षा एक से कक्षा 10 तक कि आत्मकथा लिखिये

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Answered by Anonymous
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हर व्यक्ति के जीवन में पाठशाला एक मंदिर की तरह होता है क्योंकि यही से हम अपनी विद्या प्राप्त करते हैं और इस विद्या को इस्तेमाल करके ही जीवन में एक अच्छा नागरिक और एक सफल व्यक्ति बनते हैं चलिए आज बात करते है नवी कक्षा पहली से कक्षा 10 तक के अनुभव की जब मैं पहली कक्षा में गई सब मेरे माता पिता माता-पिता ने मुझे बताया कि आज से ही जीवन में सफल बनने के लिए तुम्हारा संघर्ष शुरू होता है बचपन में ही कहानियां पढ़ते थे कहीं पाठ पढ़ते थे परंतु उस समय हमारी शिक्षिका और हमारे साथ पढ़ने वाले विद्यार्थी दोनों ही मानो हमारे जीवन में बहुत ज्यादा अहम बन जाते हैं जब मैं पहली कक्षा में प्रथम आई थी तब मेरे माता पिता ने मुझे नई साइकिल लेकर दी थी जब मैं तीसरी कक्षा में गई तब तक मैंने उस साइकिल के साथ अपना कोई वक़्त गुजारा जब तीसरी में पहुंची तब मेरे विद्यालय में साइकिल प्रतियोगिता हुई जिसमें मैं प्रथम आए तब मुझे पता चला कि जीवन में विद्या के अतिरिक्त कोई और चीजें भी है केवल विद्यार्थी के लिए विद्या ही नहीं परंतु हर क्षेत्र में अच्छा होना बहुत बहुत जरुरी होता है पांचवी कक्षा तक सब कुछ एकदम आसान लगने लगा पर उसके बाद में पता चला कि विद्या का सागर बहुत गहरा है परंतु मैंने अपना परिश्रम कभी नहीं छोड़ा पांचवी तक मेरे अच्छे व्यवहार और अच्छे गुणों के कारण ही मेरे माता-पिता और मेरी शिक्षकों ने मुझे काफी सराहा परंतु एक बार जब छठ वीं की परीक्षा हो रही थी उस वक्त मैं प्रथम ना आकर तीसरी आई थी उस वक्त में काफी निराश हो गई थी परंतु मुझे नहीं पता था कि विद्यालय में सब मुझे इतना प्रेम करेंगे सब ने मेरा मार्गदर्शन किया मुझे समझाया और उसी वर्ष मुझे दूसरी एकांकी परीक्षा में 92% गुण मिले थे जब मैं आठवीं में गई तब से मैंने बहुत परिश्रम किया जब मैं दसवीं में एक गई तब हमारे शिक्षकों ने हम सभी विद्यार्थियों को बहुत प्रोत्साहित किया और समझाया कि इस वर्ष तुम्हें ज्यादा से ज्यादा अंक प्राप्त करने हैं जिससे तुम्हारा भविष्य और भी ज्यादा उज्जवल हो जाए इस काल के दौरान सभी मार्गदर्शक ओने मुझे इतना प्रोत्साहित किया कि दसवी में मुझे 95% गुण मिले आज मैं 11वीं कक्षा में हो और और मैं कॉलेज में पढ़ती हूं लेकिन होली से लेकर 10 वीं तक का यह जो सफर है इसीलिए मुझे जीवन में संघर्ष का महत्व कर्म का महत्व विद्या का महत्व शिक्षक ज्ञान का महत्व और विद्यालय का महत्व सिखाया है वह दिन में कभी नहीं भूल सकती जब रिश्तों के दौरान साथ में बैठकर सभी विद्यार्थी खाना खाते थे क्लास लीडर बातें करने पर भी हमारा नाम नहीं बताता था क्योंकि उसे लगता था कि कहीं हमें डांटना पड़ जाए अब लगता है कि काश उसी काल में वापस चले जाए मेरी इस पहली से दसवीं कक्षा की आत्मकथा को मैं हमेशा अपने जीवन में याद रखूंगा और हमेशा आगे बढ़ने के लिए स्वयं को और दूसरों को प्रोत्साहित करूंगी मेरा दूसरों को यह आश्वासन है कि वह भी अपने जीवन में विद्यालय विद्या और शिक्षक को हमेशा सम्मान दें तभी वह जीवन में देश के अच्छे नागरिक बन सकते हैं धंयवाद
i hope it will help you.

tanmay561: kya yeh 250 shabd ka hai
Anonymous: don't know but you can form your ptoper essay using the subjects of the sentences.
Anonymous: plz mark as brainliest
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