कक्षा में होने वाली भाषण प्रतियोगिता हेतु प्रोत्साहित करते हुए अध्यापक व छात्र के बीच हुए संवाद
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छात्र - नमस्कार, गुरुजी!
अध्यापक - नमस्कार, बेटे! कहो, कैसे आना हुआ?
छात्र - कल गाँधी जयंती है, गुरुजी। मुझे कल बाल सभा में गाँधी जी के जीवन के विषय में कुछ बोलना है।
अध्यापक - कहो, मैं उसमें तुम्हारी क्या सहायता कर सकता हूँ?
छात्र - गुरु जी ! मैंने गाँधी जी के विषय में भाषण लिख तो लिया है, अब उसे रट रहा हूँ। थोड़ी देर बाद आप मुझसे सुन लीजिए।
अध्यापक - ऐसी भूल कर भी मत करना।
छात्र - क्यों गुरु जी, क्यों नहीं?
अध्यापक - तुम नहीं जानते, बेटे। जो चीज़ रटकर सुनाई जाती है, उसका श्रोताओं पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता। जब तुम बोलने के लिए श्रोताओं के सामने खड़े होगे, तो तुम्हें अनेक चेहरे दिखाई देंगे। उनके चेहरों के हाव-भाव को देखकर अपने भाषण को बदलना होगा।
छात्र - किंतु मैं तो रटे बिना एक शब्द भी नहीं बोल सकता।
अध्यापक - ठीक है, पहले-पहल ऐसा ही किया जाता है। किन्तु यदि तुम बीच में कोई वाक्य भूल गए तो क्या करोगे?
छात्र - इसके लिए मैं कुछ संकेत लिखकर ले जाऊँगा।