कक्षा परख पत्र
1.पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, 3
2.रैदास' ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है? 3
3.जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता? 3
4.अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा? 3
5.निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए:-
1.ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै।
गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै।। 3
2.जहाँ काम आवे सुई, कहा करै तरवारि। 2
3.पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून। 3
Answers
Answer:
1. पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना चंदन-पानी, घन-वन-मोर, चन्द्र-चकोर, दीपक-बाती, मोती-धागा, सोना-सुहागा आदि से की गई है।
2. रैदास ने अपने स्वामी को गुसईया, गरीब, निवाजु, लाल, गोबिंद, हरि, प्रभु आदि नामों से पुकारा है।
3. यद्यपि सूर्य कमल का पोषण करता है परन्तु पानी नहीं होता तो कमल सूख जाता है क्योंकि कमल को पुष्पित होने के लिए जल की अधिक आवश्यकता होती है। अत: कमल की संपत्ति जल है उसके न रहने पर सूर्य भी उसकी सहायता नहीं कर सकता है।
4. अवध नरेश को चित्रकूट इसलिए जाना पड़ा क्योंकि उन्हें 14 वर्ष तक वनवास में रहना था। चित्रकूट एक तपोवन था, जहाँ ऋषि-मुनियों द्वारा तपस्या की जाती थी। वहाँ विभिन्न मुनियों के आश्रम भी थे। श्रीराम को यह स्थान वनवास बिताने के लिए उपयुक्त लगा इसलिए वह यहाँ आकर निवास करने लगे। Not sure about this part
5 ( 1) हे प्रभु ! तुम्हारे बिना कौन ऐसा कृपालु है जो भक्त के लिए इतना बडा कार्य कर सकता है । तुम गरीब तथा दिन – दुखियों पर दया करने वाले हो । तुम ही ऐसा कृपालु स्वामी हो जो मुझ जैसे अछूत और नीच के माथे पर राजाओं जैसा छत्र रख दिया । तुम मुझे राजाओं जैसा सम्मान प्रदान कर दिया । मैं अभाग हूँ । मुझ पर तुम्हारी कृपा असीम है । तुम मुझ पर द्रवित हो गए । हे स्वामी तुमने मुझ जैसे नीच प्राणी को इतना उच्च सम्मान प्रदान किया । तुम्हारी दया से नामदेव , कबीर जैसे जुलाहे , त्रिलोचन जैसे सामान्य , सधना जैसे कसाई और सैन जैसे नाई संसार से तर गए । उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया । रैदास कह्ते हैं – हे संतों , सुनो ! हरि जी सब कुछ करने में समर्थ हैं । वे कुछ भी सकते हैं ।
( 2) प्रत्येक मनुष्य का अपना महत्त्व होता है। समय आने पर सभी उपयोगी सिद्ध होते हैं। कवि ने तलवार और सुई के उदाहरण द्वारा यह तथ्य सिद्ध किया है। जहाँ छोटी वस्तु का उपयोग होता है वहाँ बड़ी वस्तु किसी काम की नहीं और जहाँ बड़ी वस्तु प्रयुक्त होती है। वहाँ छोटी वस्तु बेकार है सुई जो काम करती है वह काम तलवार नहीं कर सकती। और जिस काम के लिए तलवार है। वह काम सुई नहीं कर सकती। हर चीज की अपनी ही उपयोगिता है।
(3) इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है। रहीम कह रहे हैं कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए। पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोती का कोई मूल्य नहीं। पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे का अस्तित्व पानी के बिना नम्र नहीं हो सकता और मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है, उसी तरह मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए जिसके बिना उसका मूल्यह्रास होता है।