कक्षा वार्ता के विचार के लिए अपनी जिज्ञासा लिखें
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कोई भी व्यक्ति विज्ञान लेखक इसलिए बनना चाहेगा कि वह लोगों को विज्ञान के विविध क्षेत्रों की जानकारी दे सके। अगर आप मुझसे पूछें कि मैं विज्ञान लेखन क्यों करता हूं तो मेरा उत्तर है कि मुझे अपनी दुनिया, अपनी प्रकृति और इस विशाल ब्रह्मांड के बारे में जो कुछ पता लगे उसे मैं आपको और दूसरों को भी बता सकूं। बता सकूं कि हर रोज सूरज क्यों निकलता है, क्यों डूबता है, क्यों शीतल चांद निकलता है, तारे क्यों टिमटिमाते हैं, आकाश में कहीं कोई तारा क्यों टूटता है, आकाश इतना अनंत क्यों है? पौधे क्यों उगते हैं, क्या उनमें भी प्राण हैं, फूल क्यों खिलते हैं, मनुष्य कहां आया, चिड़ियां क्यों उड़ती हैं, पशु-पक्षी कहां से आए, कीड़े-मकोड़े कहां से आए, जुगुनू क्यों चमकते हैं, मछलियां पानी में कैसे सांस लेती हैं, नदियां क्यों बहती हैं, सागर कैसे बनते हैं, बादल क्यों बनते हैं, वर्षा क्यों होती है, क्यों बर्फ गिरती है। और भी न जाने कितना कुछ।
किसके लिए लिखें? यह जानना बहुत जरूरी है कि हम किसके लिए लिखें। हमारे पाठक, हमारे श्रोता और दर्शक कौन हैं? मैं समझता हूं, हम लोगों के आसपास, समाज में कम-से कम तीन तरह के पाठक, श्रोता, दर्शक तो हैं ही- वैज्ञानिक, छात्र व शिक्षक और जन सामान्य। इनमें से हमारा लक्ष्य वर्ग कौन है? मतलब हम इनमें से किस पाठक, श्रोता या दर्शक वर्ग के लिए लिखना चाहते हैं? लेखन के लक्ष्य वेध के लिए लक्ष्य को जानना निहायत ही जरूरी है।
पहले लक्ष्य वर्ग में वैज्ञानिक हैं, जो वैज्ञानिक भाषा में लिखते हैं और अन्य वैज्ञानिक उस भाषा को समझते हैं।
दूसरा लक्ष्य वर्ग है- शिक्षक व छात्र। इनके लिए वैज्ञानिक पाठ्य पुस्तकें तथा वैज्ञानिक लेख लिखे जाते हैं जिनमें अर्द्ध तकनीकी भाषा का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार का वैज्ञानिक लेखन शिक्षकों के ‘लेक्चर नोट्स’ या ‘क्लासरूम नोट्स’ की लीक पर चलता है। छात्र उसी अर्द्ध तकनीकी भाषा को पढ़ते-पढ़ते स्नातक स्तर पर वैज्ञानिकों की तकनीकी भाषा समझने में समर्थ होने लगते हैं।
तीसरे वर्ग में करोड़ों लोग हैं। इनमें घर और घर से बाहर काम करते लोग हैं, गृहणियां हैं, खेत-खलिहानों में काम करने वाले किसान हैं, कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी, कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूर हैं। और हां, इनमें प्रयोगशाला से घर लौटे वैज्ञानिक तथा कक्षाओं से लौटे छात्र भी हैं। इन करोड़ों लोगों को अपने खाली वक्त में पढ़ने, सुनने और देखने के लिए जानकारी चाहिए। वे तरह-तरह की जानकारी चाहते हैं। हम इस विशाल वर्ग को विज्ञान की जानकारी देकर इनमें वैज्ञानिक चेतना जगा सकते हैं। यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।
किसके लिए लिखें? यह जानना बहुत जरूरी है कि हम किसके लिए लिखें। हमारे पाठक, हमारे श्रोता और दर्शक कौन हैं? मैं समझता हूं, हम लोगों के आसपास, समाज में कम-से कम तीन तरह के पाठक, श्रोता, दर्शक तो हैं ही- वैज्ञानिक, छात्र व शिक्षक और जन सामान्य। इनमें से हमारा लक्ष्य वर्ग कौन है? मतलब हम इनमें से किस पाठक, श्रोता या दर्शक वर्ग के लिए लिखना चाहते हैं? लेखन के लक्ष्य वेध के लिए लक्ष्य को जानना निहायत ही जरूरी है।
पहले लक्ष्य वर्ग में वैज्ञानिक हैं, जो वैज्ञानिक भाषा में लिखते हैं और अन्य वैज्ञानिक उस भाषा को समझते हैं।
दूसरा लक्ष्य वर्ग है- शिक्षक व छात्र। इनके लिए वैज्ञानिक पाठ्य पुस्तकें तथा वैज्ञानिक लेख लिखे जाते हैं जिनमें अर्द्ध तकनीकी भाषा का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार का वैज्ञानिक लेखन शिक्षकों के ‘लेक्चर नोट्स’ या ‘क्लासरूम नोट्स’ की लीक पर चलता है। छात्र उसी अर्द्ध तकनीकी भाषा को पढ़ते-पढ़ते स्नातक स्तर पर वैज्ञानिकों की तकनीकी भाषा समझने में समर्थ होने लगते हैं।
तीसरे वर्ग में करोड़ों लोग हैं। इनमें घर और घर से बाहर काम करते लोग हैं, गृहणियां हैं, खेत-खलिहानों में काम करने वाले किसान हैं, कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी, कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूर हैं। और हां, इनमें प्रयोगशाला से घर लौटे वैज्ञानिक तथा कक्षाओं से लौटे छात्र भी हैं। इन करोड़ों लोगों को अपने खाली वक्त में पढ़ने, सुनने और देखने के लिए जानकारी चाहिए। वे तरह-तरह की जानकारी चाहते हैं। हम इस विशाल वर्ग को विज्ञान की जानकारी देकर इनमें वैज्ञानिक चेतना जगा सकते हैं। यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है।
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