ककसी भी राष्ट्र का तनमााण के वल वहााँकी भौगोसलक पररसीमाओं अथवा वहााँके प्राकृततक अथवा भौततक संसाधनों से दृजष्ट्टगत ही नहीं होता। देश का मतलब के वल जंगल, पहाड, खेत-खसलहान, खतनज संपदा, नदी-नाले अथवा उस देश में जस्थत धन-धान्य की मारा ही नहीं है। एक राष्ट्र की नींव वहााँतनवास करने वाले लोग होते हैं। एक सशक्त तथा आदशावान राष्ट्र वहााँके लोगों की परस्पर एकता, सह-अजस्तत्व, सशक्षा, संस्कृतत, आचार-ववचार, रहन-सहन तथा उनका जीवन तथा जगत के प्रतत अनुराग से बनता है। एक आदशा देश वही होता है, जजसके नागररक वहााँके संववधान, वहााँकी शासन-व्यवस्था तथा वहााँकी भौगोसलक पररसीमाओं से प्यार करते हैं। वे देशहहत के समक्ष अपने तनजहहत का पररत्याग करते हैं। जजस देश के तनवासी अपने ववववध भाषा-संस्कृतत, रूप-रंग, धमा-संप्रदाय तथा मत-मतांतर के बावजूद अपने देश की सरज़मी से बेइंतहा प्यार करते हैं, हम उसी राष्ट्र को एक आदशा तथा सशक्त राष्ट्र की श्रेणी में रख सकते हैं।
(क) एक देश का तनमााण के वल ककन चीज़ों से दृजष्ट्टगत नहीं होता?
(ख) एक राष्ट्र की नींव कौन लोग होते हैं?
(ग) एक सशक्त राष्ट्र कै से बनता है?
(घ) हम कै से राष्ट्र को आदशा तथा सशक्त राष्ट्र की श्रेणी में रख सकते है?
(ङ) एक आदशा देश कै सा होता है?
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ख एक राष्ट्र की नींव वहााँतनवास करने वाले लोग होते हैं
ग एक सशक्त तथा आदशावान राष्ट्र वहााँके लोगों की परस्पर एकता, सह-अजस्तत्व, सशक्षा, संस्कृतत, आचार-ववचार, रहन-सहन तथा उनका जीवन तथा जगत के प्रतत अनुराग से बनता है।
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