Hindi, asked by 1023528, 19 hours ago

ककस सांस्कृततक एिं खेिकूि कायाक्रम में आपकी स भाथगता एिं अपने

ककस भ्रमण के अनुभि को िैनंदिन िेखन रूप में लिखखए।​

Answers

Answered by CuteJimmy21
5

Answer:

आंत्रनाल में श्लेष्मल स्तर के बाहर वृत्ताकार और उनके बाहर अनुदैर्ध्य पेशीसूत्रों के स्तर स्थित हैं। वृत्ताकार सूत्रों के संकोच से नाल की चौड़ाई संकुचित हो जाती है। अतएव संकोच से आगे के आहार का भाग पीछे को नहीं लौट सकता। तभी अनुदैर्ध्य सूत्र संकोच करके नाल के उस भाग की लंबाई कम कर देते हैं। अतएव आहार आगे को बढ़ जाता है। फिर आगे के भाग में इसी प्रकार की क्रिया से वह और आगे बढ़ता है। यही आंत्रगति कहलाती है। दूसरी खंडीभवन (segmentation) गति भी नाल की भित्ति में होती रहती है। ये गतियाँ आहार को आगे बढ़ाने में सहायता देने के अतिरिक्त, भली प्रकार से काइम को मथ सा देती हैं, जिससे पाचक रस और आहार के कणों का घनिष्ठ संपर्क हो जाता है।

Similar questions