Hindi, asked by aumghelani, 1 year ago

kaki kahani me vishweshavar ka charitra chitran kijie

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Answered by abhishek00001
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वर्षा के अनंतर एक दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी तो अगोचर हो जाता है, परंतु भीतर-ही-भीतर उसकी आर्द्रता जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है, वैसे ही उसके अंतस्तल में वह शोक जाकर बस गया था।

प्रश्न

(i) यहाँ किसकी बात की जा रही है ? उसका परिचय दीजिए।

(ii) उपर्युक्त पंक्तियों का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

(iii) उसके व्यवहार में क्या परिवर्तन आया ? पंक्तियों के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

(iv) "बालक का हृदय अत्यंत कोमल, भावुक और संवेदनशील होता है और

वे मातृ-वियोग की पीड़ा को सहन नहीं कर पाते" - प्रस्तुत कहानी "काकी" के माध्यम से स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

(i) यहाँ श्यामू की बात की जा रही है। श्यामू विश्वेश्वर का पुत्र है और उसकी काकी (माँ) का देहांत हो चुका है। वह एक अबोध बालक है। वह अपनी माँ से बहुत प्यार करता है और उसका वियोग सह नहीं सकता। वह जन्म-मृत्यु के सत्य से अनजान है इसलिए उसे लगता है कि उसकी माँ ईश्वर के पास गई है जिसे वह पतंग और डोर की सहायता से नीचे उतार सकता है। इसके लिए वह अपने पिता के कोट की जेब से पैसे चोरी करता है।

(ii) प्रस्तुत पंक्तियों का संदर्भ यह है कि श्यामू अपनी माँ की मृत्यु के बाद बहुत रोता है और उसे चुप कराने के लिए घर के बुद्‌धिमान गुरुजनों ने उसे यह विश्वास दिलाया कि उसकी माँ उसके मामा के यहाँ गई है। लेकिन आस-पास के मित्रों से उसे इस सत्य का पता चलता है कि उसकी माँ ईश्वर के पास गई है। इस प्रकार बहुत दिन तक रोते रहने के बाद उसका रुदन तो शांत हो जाता है लेकिन माँ के वियोग की पीड़ा उसके हृदय में शोक बनकर बस जाती है।

(iii) माँ की मृत्यु के बाद श्यामू अत्यंत दुखी हो गया। वह पहले बहुत रोया करता था लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे उसका रोना शांत होता गया, परंतु उसके अंतस्तल की पीड़ा शांत न हो सकी। वह प्राय: अकेला रहने लगा और हमेशा आकाश की ओर देखता रहता। जिस प्रकार वर्षा के एक-दो दिन बाद धरती के ऊपर का पानी तो सूख जाता है लेकिन उसके भीतर की आर्द्रता बहुत दिन तक बनी रहती है, उसी प्रकार श्यामू का रोना तो बंद हो गया लेकिन मातृ-वियोग की पीड़ा उसके हृदय में जाकर बस गई थी।

(iv) प्रस्तुत कहानी "काकी" एक बाल-मनोवैज्ञानिक कहानी है। जिसमें एक बालक के मातृ-वियोग की पीड़ा को दर्शाया गया है। कहानी में श्यामू  माँ की मृत्यु के बाद उस पीड़ा को सहन नहीं कर पाता है और उसका मन कहीं नहीं लगता है। जीवन-चक्र से अनभिज्ञ वह अपनी माँ को ईश्वर के यहाँ से लाने के लिए पैसों की चोरी करता है और डोरी मँगवाता है जिसकी सहायता से वह अपनी मरी माँ को आकाश से नीचे धरती पर ला सके। इस प्रकार यह साबित होता है कि बालकों का हृदय अत्यंत कोमल, भावुक और संवेदनशील होता है और वे  मातृ-वियोग की पीड़ा को सहन नहीं कर पाते हैं।



(2)


अकस्मात्‌ शुभ कार्य में विघ्न की तरह उग्र रूप धारण किए हुए विश्वेश्वर वहाँ आ घुसे।


प्रश्न


(i) "शुभ कार्य" और "विघ्न" शब्दों का प्रयोग किस-किस संदर्भ में किया गया है ?


(ii) श्यामू पतंग पर किससे, क्या लिखवाता है और क्यों ?


(iii) भोला का परिचय देते हुए बताइए कि वह श्यामू की मदद किस प्रकार करता है ?


(iv) विश्वेश्वर हतबुद्‌धि होकर क्यों खड़े रह गए ? घटना का विवरण देते हुए लिखिए।


उत्तर


(i) "शुभ कार्य" का प्रयोग उस संदर्भ में किया गया है जब श्यामू अपनी माँ को ईश्वर  के यहाँ से नीचे लाने के लिए पतंग और दो मज़बूत रस्सियाँ मँगवाता है और उस पर  काकी लिखवाता है। श्यामू अत्यंत प्रसन्न मन से अपने साथी भोला के साथ पतंग में रस्सी बाँध रहा था।


"विघ्न" का प्रयोग उस संदर्भ में किया गया है जब श्यामू चोरी किए गए पैसे से पतंग खरीदता है।जैसे ही वह शुभ कार्य संपन्न करने जाता है वैसे ही उसके पिता विश्वेश्वर विघ्न के रूप में वहाँ उपस्थित हो जाते हैं।


(ii) श्यामू पतंग पर जवाहर भैया से एक कागज़ पर काकी लिखवाता है। ताकि वह पतंग सीधे उसकी माँ के पास चली जाए और उसकी माँ उस पर अपना नाम देखकर पतंग की सहायता से आसानी से राम के यहाँ से नीचे उतर आए।


(iii) भोला सुखिया दासी का लड़का था और श्यामू का हमउम्र था। वह श्यामू से अधिक चतुर और समझदार था, इसलिए वह उसे सलाह देता है कि श्यामू मोटी रस्सी मँगवा ले। पतली रस्सी से काकी नीचे नहीं उतर पाएगी और रस्सी के टूटने का भय भी बना रहेगा। भोला बहुत डरपोक भी था, इसलिए विश्वेश्वर के एक ही डाँट से वह सारा रहस्य उजागर कर देता है।




(iv) विश्वेश्वर को जब इस बात का पता चलता है कि उसके कोट  की जेब से एक रुपए की चोरी हुई है तब वह भोला और श्यामू के पास आते हैं। भोला को डाँटने से उन्हें श्यामू की सच्चाई का पता चलता है कि उसने ही रुपए की चोरी की है। वे श्यामू को धमकाने और मारने के बाद पतंग फाड़ देते हैं। लेकिन जब उन्हें भोला द्‌वारा यह पता चलता है कि श्यामू इस पतंग के द्‌वारा काकी को राम के यहाँ से नीचे लाना चाहता है, विश्वेश्वर हतबुद्‌धि होकर वहीं खड़े रह जाते हैं।


Answered by bhatiamona
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Answer:

काकी सियाराम शरण गुप्त के द्वारा लिखी गयी एक हृदय स्पर्शी कहानी है जो बाल मनोविज्ञान और बच्चों की मासूमियत को उजागर करती है ।

विश्वेश्वर की पत्नी का नाम काकी था | श्यामू विश्वेश्वर का बेटा था | श्यामू अपने पिता के बहुत करीब था | काकी की अचानक मृत्यु हो जाती है। विश्वेश्वर बहुत अच्छा इंसान था , वह अपने बेटे से बहुत प्यार करता था लेकिन जब कोई गलती करता तो वह  गुस्से  से डांट देता |  

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