Kaksha ke sabhi vidyarthiyon ko shaikshik bhraman per Le chalne ka Anurodh Anurodh karte hue pradhanacharya ko Patra likhiye
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पत्र अनेक प्रकार के होते हैं। विषय, संदर्भ, व्यक्ति और स्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के पत्रों को लिखने का तरीका भी अलग-अलग होता है। आमतौर पर पत्र दो प्रकार के होते हैं-(क) अनौपचारिक पत्र (ख) औपचारिक पत्र।
(क) अनौपचारिक पत्र- इस तरह के पत्र नजदीकी या रिश्तेदार को लिखे जाते हैं। इसमें पत्र पाने वाले तथा लिखने वाले के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। यह संबंध पारिवारिक तथा मित्रता का भी हो सकता है। ऐसे पत्रों को व्यक्तिगत पत्र भी कह सकते हैं। इन पत्रों की विषयवस्तु निजी व घरेलू होती है। इनका स्वरूप संबंधों के आधार पर निर्धारित होता है। इन पत्रों की भाषा-शैली में कोई औपचारिकता नहीं होती तथा इनमें आत्मीयता का भाव व्यक्त होता है।
(ख) औपचारिक पत्र- इस तरह के पत्रों में एक निश्चित शैली का प्रयोग किया जाता है। सरकारी, गैर-सरकारी संदभों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को ‘औपचारिक पत्र’ कहा जाता है। इनमें व्यावसायिक, कार्यालयी और सामान्य जीवन-व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों को शामिल किया जाता है।